कुपोषण से लड़ाई के लिए उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग ने एक तरीका खोज निकाला है। विभाग ने बिजनौर जिले की 200 महिलाओं को 50 मुर्गी के चूजे दिए है। जब ये चूजे बढ़े होकर अंडे देंगे, तो उन्हें खाने से ये परिवार कुपोषण से बाहर निकल जाएंगे। कुपोषण से बचाव की ये योजना आदिवासी महिलाओं के लिए ही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस जिले में 44,000 बच्चे कुपोषित है, जबकि 12,000 अन्य लोग भी कुपोषण का शिकार हैं।
हालांकि देश के कई राज्य कुपोषण से लड़ाई के लिए मुर्गी के चूजे और बकरी गरीब परिवारों को देती हैं। वहीं आपको बता दें कि ये गरीब परिवार मुर्गी पालन का काम करते हैं और वहीं इन चूजों में बीमारी फैलने और उनके मरने की आंशका बहुत अधिक होती है।
इस योजना के जिला प्रबंधक शैलेश कुमार यादव बताते हैं कि ये योजना यूपी आजीविका मिशन के अंतर्गत चलाई गई है। ये इसका प्रथम चरण है, जिसमें 200 महिलाओं को ये चूजे दिए गए हैं। वे इनके द्वारा अपने परिवार की आजीविका भी चला सकती हैं और कुपोषण से भी बच सकती हैं। आपको बता दें कि मुर्गी के चूजे 4 से 5 महीने में अंडे देने लगते हैं, तो वहीं 2 की मुर्गी को खाने में भी प्रयोग कर सकते हैं।