महोबा का पान तो सब कोई जानता है पर आज हम बताएँगे महोबा के पान की खासियत। महोबा का पान देश-विदेश तक प्रसिद्ध है। इस साल कोरोना महामारी के चलते हुए लोग बहुत निराश हैं लोग तो मनाएंगे लेकिन जो खुशियां होंगे शायद फीकी होंगी। कुलपहाड़ के रहने वाले अनूप ने बताया है कि इस साल ज्यादातर हम दशहरा नहीं मनाएंगे।
दशहरा मुबारक फोन के द्वारा होगा। कोमल पान लगाने वाले कहते हैं कि इस साल हम हर साल के भांति दुकान नहीं लगाएंगे क्योंकि कोरोना महामारी चल रही है पता नहीं की दशहरा के दिन भीड़ भाड़ हो तो पुलिस ना रोके। कोरोना महामारी चल ही रही है दुकानदारी में भी बहुत असर पड़ा हुआ है। एक बार महोबा का पान खाता है वह याद जरूर करता है।
महोबे के पान की खासियत यह है कि हाथ में लेकर फटकार दे तो पान के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे और पान को मुंह में डालते ही बिलाजाएगा। अंकिता ने बताया है कि हम लोग महिनो के आगे से दशहरा को याद करते हैं कि कब दशहरा आएगा कब पान खाने को मिलेगा हम लोग साल में सिर्फ एक ही बार पान खाते हैं जो कि दशहरा के दिन कोई रोक नहीं होती है अगर वैसे कुछ मुंह में खाए होते हैं तो हमें पापा कहते हैं क्या खाए हैं पान नहीं खाना। दशहरा के दिन खुद में मम्मी पापा खिलाते हैं कि आज पान खाओ पान खाया जाता है।
राजन कहते हैं कि दशहरा आने से एक दूसरे की बुराइयां खत्म हो जाते हैं जो साल भरे की रहती हैं जैसे कि पिछले साल मेरे भाई का और मेरा बोलचाल नहीं था और तो का झगड़े में जब मेरा भाई आया और पान दिया मुझे तो मैंने बोला कि आप भी पाना खा लीजिए। और मीठा खा लेते उसी दिन से आज भी हम बोलचाल कर रहे हैं। राजाबाई बताती हैं कि हम लोग तो जैसे हर साल दशहरा मनाते थे।
उसी तरह से इस साल भी मनाएंगे जो भी हमारे लोग लेची होगी हम अपने देवरानी जेठानी के खाएंगे और खिलाएंगे उसी तरह से मान सम्मान करेंगे गले मिलेंगे। महोबा के बाबूलाल चौरसिया का कहना है कि महोबा का पान तो फेमस ही है वैसे तो महोबा के पान की डिमांड होती ही रहती है लेकिन खासकर दशहरा में भी और ज्यादा बिक्री होती है। महोबे का पान जो कोई एक बार खा लेता है वह बार-बार याद करता है।