जिला महोबा जैतपुर गांव लाडपुर और तहसील कुलपहाड़ कोतवाली कुलपहाड़। जहां की महिलाओं ने एक इतिहास जैसा अपने गांव में रच रही हैं जैसे कि एक पुरुष के लिए गांव गांव ढूंढती फिरती हैं की हम लोगों की रास्ता छेके। कब हम उसको दही खिलाएं और सर पर डालें जब भी हम लोगों की दिल की तसल्ली होगी। दीपावली से लेकर पूरा 15 दिन कभी भी पुरुष हम लोगों की रास्ता छेक सकता है।
और हम बहुत खुश होते हैं जब पुरुष हमारी रास्ता छेकता है। अगर किसी पुरुष ने हमारे रास्ता नहीं थे कि तो हम लोगों को दिल में लगा रहता है कि हम अपने गांव से छोड़कर दूसरे गांव जा रहे हैं। फिर भी ऐसा कोई पुरुष नहीं है कि हम लोगों की रास्ता छेके हमें जो खुशी पुरुष के रास्ता देखने में होती है। अगर नहीं सकते हैं तो हम लोग खुश नहीं होते हैं जब तक हम कार्तिक महीना नहाते हैं।
वैसे तो अगर महिलाओं के आगे पीछे पुरुष चलता है और सर उठा कर महिलाओं को करने देता है तो महिलाएं उनको मारपीट थाना तहसील कर डालते हैं। यह सोचने वाली बात है कि महिलाओं के साथ जब पुरुष नहीं खाता है। तो कितने भाव से महिलाएं दही खिला देती हैं और हंसती हैं गाती हैं। आखिर क्यों ऐसा होता है तो चलते हैं हम महिलाओं से ही जानते हैं इसका पूरा इतिहास क्या है क्यों ऐसा होता है। उर्मिला कहती है कि अभी तक हम 1 महीने में 5 दिन अपने गांव छोड़कर दूसरे गांव जाते हैं।
और पूरा गांव घूमते हैं हम लोग तेरा साल लगातार कार्तिक महीना नहाते हैं। महोबा जिला की पुरानी परंपराएं हैं। जो करते चले आ रहे हैं पहले हम लोगों की मां बहन एक महीना नहाती थी उन्हें को देखते हुए आज हम उसी तरह से करते चले आ रहे हैं। यह कोई नया इतिहास नहीं है यह बहुत पहले का ही है। संतोष कुमार मोहारी गांव के रहने वाले। कहते हैं कि हम लोग कन्हैया हैं और जो महिलाएं कातिक नहाती हैं। वह राधा हैं इसलिए हम लोग कन्हैया बनके महिलाओं को छेड़ते हैं और उनसे दही खाते हैं।