जिला महोबा ब्लॉक जैतपुर गांव सुगिरा की रहने वाली राम कुमारी ने अपनी बेटी को हर मुश्किल से लड़कर पढ़ाया। उसकी बेटी कुसुम 3 महीने की थी जब वह उसे लेकर ससुराल से मायके आ गयी थी। उसकी बेटी कुसुम शरीर से दिव्यांग है। लेकिन उसने निराशा न जताते हुए अपनी बेटी को सब्ज़ी बेचकर पढ़ाया-लिखाया।
वहीं सुगिरा गांव से बेलाताल जाकर लगभग 6 किलोमीटर की दूरी तय करके सब्ज़ी खरीदने जाती थी। फिर उस सब्ज़ी को गांव में बेचती थी। कई बार गांव वालों ने उससे कहा कि उसकी बेटी तो दिव्यांग है। उसे पढ़ाना नहीं चाहिए पर उसने इन बातों को नजरअंदाज किया। वह कहती है कि वह अनपढ़ थी। उसका पति भी उसे छोड़कर चला गया था। वह यह सोचती है कि फिर उसकी बेटी का क्या भविष्य होगा। इसलिए वह अपनी बेटी को कामयाब बनाना चाहती है।
कुसुम इस समय अध्यापिका है। उसका यही कहना है कि अगर उसकी माँ नहीं होती तो वह कुछ नहीं कर पाती। उसकी माँ राम कुमारी को भी उस पर गर्व है और वह बहुत खुश है।
कोविड से जुड़ी जानकारी के लिए ( यहां ) क्लिक करें।