मिर्ची का मौसम आ गया है और बाजारें लाल-लाल मिर्ची से रंगीन हो गई हैं।
मिर्ची! उफ़ यह नाम भी न, खाने में हो तो स्वाद बढ़ाती है और बातों में हो तो दूरियां। खैर, मिर्ची का मौसम आ गया है और बाजारें लाल-लाल मिर्ची से रंगीन हो गई हैं। मिर्ची खरीदने के लिए बाजार में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है। महिलाएं घरों में आचार बनाने लगी हैं। मिर्ची का आचार होता भी ऐसा है स्वादिष्ट की खाने का स्वाद बढ़ा दे। चलो अब बात करते हैं मिर्ची बेचने वाले लोगों से और जानते हैं की मिर्ची का क्या भाव है।
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200 साल पुरानी है मिर्च की खेती
चलिए चलते हैं महोबा जिला के ब्लॉक जैतपुर बेलाताल मंडी में जहाँ मिर्ची की दूकान लगी है। बाजार आज लाल मिर्ची से रंगीन है बात करते हैं यहाँ के लोगों से कि आखिर क्या है इस मिर्ची का राज? कैंथोला गांव के बबलू का कहना है कि उन्होंने चार बीघा में मिर्ची की खेती की है और उनके गांव में लगभग 40 प्रतिशत किसान मिर्ची की खेती करते हैं। कैथोला गांव के किसान लगभग 200 साल से मिर्ची की खेती करते आ रहे हैं। बबलू बताते हैं कि पहले उनके दादा परदादा खेती करते और बेचते थे और अब वह भी खेती करने लगे हैं। कैथोला गांव की मिर्ची पूरे महोबा जिला में फेमस है। हरपालपुर, बांदा, नौगांव और छतरपुर तक के लोग इस मिर्ची को थोक के भाव खरीदते हैं।
4 लाख की पैदावार, किसानों को कर रहा प्रभावित
पूरन लाल राजपूत ने बताया है कि उनके खेत में लगभग चार लाख की मिर्ची पैदा हो जाती है। लगभग ढाई लाख रुपए लागत लग जाती है और डेढ़ लाख का फायदा हो जाता है। मिर्ची की खेती करने पर कई बार फसल की निराई, गुड़ाई करनी पड़ती है और दवा का भी छिड़काव होता है। मिर्ची की खेती में बहुत मेहनत है। कई लोगों की मेहनत से ही यह खेती तैयार हो पाती है चाहे निराई- गुड़ाई का काम हो या जब मिर्च की खेती तैयार हो जाये तो मजदूरों से तोड़वाने का काम हो सब में कई-कई लोग लगते हैं।
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घर ही नहीं रिश्तेदारों के लिए बनाते हैं अचार
झांसी निवासी किरन ने बताया है कि वह खासकर इस सीजन में यहाँ से मिर्ची खरीदने आती हैं। यहाँ का मिर्चा अच्छा और ढाई सौ रुपया पसेरी मिलता है। उसी मिर्ची का अचार रखते हैं और 1 साल चलता है। अगले साल फिर से खरीदते हैं। हर साल यह सिलसिला यूँ ही चलता है। लेवा गांव निवासी शांति ने बताया है कि उनका 10 लोगों का परिवार है और वह हर साल मिर्च का आचार रखती हैं। पूरा परिवार तो खाता ही है और वह रिश्तेदारों को भी भिजवाती हैं।
हरपालपुर की रहने वाली किरण ने बताया कि मिर्ची तो हर जगह मिलती है पर बेलाताल के मिर्च का टेस्ट ही कुछ अलग होता है।
हर साल यहाँ से खरीदकर ले जाते हैं। लोगों ने बताया कि शनिवार और बुधवार को बेलाताल मंडी में बाजार लगती है इसलिए लाल मिर्च से बाज़ार गुलजार रहती है। कैथौरा गांव की मिर्ची के बारे में बच्चा-बच्चा बता देगा और पूरे मंडी के लोग ही कहते हैं कि कहीं की मिर्ची हो पर कैथोरा गांव की मिर्ची का स्वाद ही अलग है।
इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है।
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