खबर लहरिया जिला महोबा: क्रेशर में करंट लगने से हुई मजदूर की मौत

महोबा: क्रेशर में करंट लगने से हुई मजदूर की मौत

बब्बू वह पहला व्यक्ति नहीं था जिसके साथ ऐसा हुआ। क्रेशर में काम करने वाले हज़ारों मज़दूरों की जान की बस इतनी ही कीमत होती है। 8-10 साल क्रेशर में काम करने के बाद भी इन मज़दूरों को हादसा होने पर अस्पताल तो ले जाया जाता है, मगर इन लोगों की जान अस्पताल पहुंचते ही या रास्ते में ही निकल जाती है।

ये भी देखें – कोयला खनन: आदिवासी – किसानों की कीमत पर देश का विकास | Land encroachment | Chhattisgarh mines

अधिकतर मामलों में इन मज़दूरों के परिवार वाले पुलिस में रिपोर्ट कराने से भी कतराते हैं, क्योंकि क्रेशर मालिकों की पहुंच बहुत ऊपर तक होती है। एक ही गांव में रहकर वह उनके साथ दुश्मनी नहीं रख सकते। यही वजह है, वह न चाहते हुए भी राज़ीनामा दे देते हैं और जान के बदले इन कारखानों के मालिक जो भी पैसा देते हैं, वह चुप-चाप मान लेते हैं।

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *