तालाब में सैकड़ों लोग भसींडा (मिट्टी) खोदते हैं। वे सुबह से दोपहर 1 बजे तक खोदते हैं और फिर उसके बाद बाजार में बेचने जाते हैं। हालांकि, तपती धूप और तालाब का गर्म पानी होते हुए भी लोग कहते हैं कि यह उनकी मजबूरी है, क्योंकि उन्हें मजदूरी नहीं मिलती। यही वजह है चाहें उनकी तबीयत बिगड़े या कुछ भी हो, वे यही काम करते हैं।
ये भी देखें –
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’