खबर लहरिया Blog राशन में गेहूं की जगह मिल रहा चावल, गेहूं-चावल इंगित कर रहें लोगों की आर्थिक स्थिति

राशन में गेहूं की जगह मिल रहा चावल, गेहूं-चावल इंगित कर रहें लोगों की आर्थिक स्थिति

महोबा जिले में लोगों को इस बार राशन में सिर्फ चावल दिया गया है। वहीं पूर्ति विभाग के सप्लाई इंस्पेक्टर भी इस बात से अंजान है कि इस बार राशन में सिर्फ चावल ही क्यों है और गेहूं क्यों नहीं दिया गया।

राशन में गेहूं की जगह मिल रहा चावल, गेहूं-चावल इंगित कर रहें लोगों की आर्थिक स्थिति

महोबा जिले के अलग-अलग गाँवों में इस समय लोगों को राशन में सिर्फ चावल मिल रहा है। वहीं लोगों की मांग है कि उन्हें राशन में गेहूं भी चाहिए। रोटी तो किसी भी चीज़ के साथ रूखी-सूखी खाई जा सकती है पर चावल नहीं खाया जा सकता। यह बात कहीं न कहीं लोगों की आर्थिक स्थिति की तरफ इशारा करती है। उनेक लिए गेहूं अर्थात गेहूं से बनी रोटी उनकी परिस्थिति के साथ घुल-मिल जाती है पर चावल खाने के लिए अन्य पदार्थों की ज़रुरत उनकी परेशानी का सबब है।

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पहले की तरह हो राशन वितरण – ग्रामीण

राशन में गेहूं की जगह मिल रहा चावल, गेहूं-चावल इंगित कर रहें लोगों की आर्थिक स्थिति

खबर लहरिया की रिपोर्टिंग के दौरान यह सामने आया कि यह पहला महीना है जब लोगों को राशन में सिर्फ चावल दिया गया है। राशन में सिर्फ चावल मिलने की समस्या को लेकर हमने जिले के मोहारी गांव के लोगों से बात की।

लोगों ने कोटेदार से कहा कि उन्हें सिर्फ चावल नहीं चाहिए। चावल के लिए बहुत सारी सामग्री चाहिए होती है। सिर्फ सूखा चावल बनाकर नहीं खा सकते। गेहूं हो तो उसे पिसवाकर रोटी बनाते हैं और उसे चटनी या मिर्च-मसाला के साथ खा लेते हैं।

उनकी इतनी कमाई नहीं है कि दूध या मट्ठे का जुगाड़ कर सकें। वह चाहते हैं कि जिस तरह से पहले खाद्य वितरण होता आ रहा है उसी तरह से होना चाहिए। वह सिर्फ चावल वितरण से खुश नहीं है।

सरकार कर रही है मनमर्ज़ी – आरोप

राशन में गेहूं की जगह मिल रहा चावल, गेहूं-चावल इंगित कर रहें लोगों की आर्थिक स्थिति

                                                              चावल की बोरियां

लोगों का यह भी कहना है कि अगर सिर्फ चावल देने का आदेश ऊपर से आया है तो इसकी जानकारी उन्हें भी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के समय वोटों के लिए सरकार महीने में दो बार राशन वितरण कर रहीं थी। अब जब चुनाव खत्म हो गया तो सरकार अपने मन का कर रही है।

लोगों ने यह भी कहा कि हर महीने उन्हें गेहूं मिलता था लेकिन इस बार जून में ही अलग नियम आ गया है। अब यह उनकी चिंता का विषय बन गया है।

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आदेश के अनुसार बांट रहें राशन – कोटेदार

खबर लहरिया ने गेहूं न मिलने की समस्या के बारे में मोहरी गाँव के कोटेदार संतराम से बात की। उनका कहना था कि वह ज़िम्मेदारी से राशन वितरण कर रहें हैं। इस बार उनके पास राशन में सिर्फ चावल ही आया है और वह 5 किलो के हिसाब से सबको चावल दे रहें हैं। लोग गेहूं की मांग कर रहें हैं और इसमें नोकझोंक भी हो जाती है। उनको भी काफी परेशानी हो रही है।

सरकार के फैसले के अनुसार बंट रहा राशन

कुलपहाड़ पूर्ति विभाग के सप्लाई इंस्पेक्टर आर.के ने बताया कि इस महीने गेहूं नहीं आया सिर्फ चावल ही आया है। वही कोटेदार वितरण कर रहें हैं। उन्हें नहीं पता कि अगले महीने गेहूं आता है या फिर चावल ही आएगा। यह सरकार का निर्णय है। जो आएगा कोटेदार भी उसे हिसाब से वितरण करेंगे।

अधिकारी यह कहकर पीछे हट जा रहें हैं कि राशन में चावल देना सरकार का फैसला है पर इस फैसले से आम लोगों पर जो प्रभाव पड़ रहा है, उस समस्या को नहीं देखा जा रहा। उस पर सवाल नहीं किये जा रहे। राशन वितरण तो आर्थिक रूप में असमर्थ व्यक्ति को कुछ हद तक सुविधा देने के लिए शुरू किया गया था लेकिन जब उन्हें वह सुविधा उनके मुताबिक़ नहीं दी जा रही तो ऐसी मदद का क्या अर्थ है? साथ ही अधिकारीयों को यह भी नहीं पता कि लोगों को गेहूं क्यों नहीं दिया जा रहा है। न ही यह कि अगले महीने भी लोगों को सिर्फ चावल मिलेगा या गेहूं भी। यहां सवाल राशन के साथ-साथ लोगों की आर्थिक स्थिति का भी है जो गेहूं और चावल के रूप में उनके सामने खड़ी हो रखी है।

इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है। 

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