‘आयुष्मान गोल्डन कार्ड’ की शुरुआत ही गरीब व ज़रूरतमंद लोगों की सहायता के उद्देश्य से शुरू की गयी थी पर इसकी पहुंच व लाभ कई लोगों तक नहीं पहुँच पाई है।
अगर आयुष्मान गोल्डन कार्ड होता तो भुजबल कुशवाहा अपने पिता का इलाज करा पातें। महोबा जिले के जैतपुर ब्लॉक के मौहारी गांव में रहने वाले कुशवाहा के पिता का 13 अक्टूबर 2022 को एक्सीडेंट हुआ था जिसमें उनके पिता के दोनों पैरों में गंभीर चोटे आईं थी। तब से वह इलाज में तकरीबन 2 लाख रूपये खर्च कर चुके हैं। अगर कार्ड होता तो मुफ्त में उनके पिता का इलाज हो जाता।
कुशवाहा ने खबर लहरिया को बताया, जब उन्होंने कार्ड को बनवाने को लेकर जानकारी ली तो उनसे कहा गया कि उनका कार्ड नहीं बनेगा। कहा, “इलाज करवाने के लिए पहले आयुष्मान कार्ड के बारे में पूछते हैं और फिर कहते हैं कि आयुष्मान गोल्डन कार्ड होता तो मुफ्त में इलाज हो जाता। हम लोग गरीब आदमी है, कहां से इतना पैसा लगा सकें।”
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भुजबल के पिता मन्नू राम कुशवाहा कहते हैं, वह अनपढ़ हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कब आयुष्मान गोल्डन कार्ड बन रहे हैं जिस वजह से वह बनवा भी नहीं पाए। बेटा उनकी दवाई व अन्य चीज़ों का ध्यान रखता है। उनके पास मज़दूरी हेतु अन्य कोई संसाधन भी नहीं है।
आरोग्य मित्र उमेश कुमार ने खबर लहरिया को बताया, इस बारे 51,699 आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाये जाने का लक्ष्य है जिसमें से 32,683 कार्ड बन गए हैं। सर्वे के आधार पर कार्ड बनाये जा रहे हैं। एक नियम यह भी है कि लाल कार्ड बनवाये जाएंगे। 25 फरवरी को कैंप लगाया जाएगा। आगे कहा, पंचायत भवन में आशाओं के ज़रिये भी आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाये जाते हैं।
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