स्कूलों में जितनी शिक्षा जरुरी है उतना ही मनोरंजन। पढ़ाई का बोझ बच्चों को ज्यादा महसूस न हो इसके लिए स्कूलों में कई तरह की एक्टिविटी कराई जाती है। स्कूलों में कई तरह के खेल और बच्चों के लिए मनोरंजन का ख्याल रखा जाता है ताकि बच्चे मानसिक और शारीरिक तौर पर भी स्वस्थ रहे।
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के कंपोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय मौहारी में हर शनिवार को बच्चों को खेल खिलाया जाता है। यह स्कूल विकासखंड जैतपुर के अंतर्गत आता है। इस स्कूल में हर शनिवार को एक्टिविटी कराई जाती है। खेल के दौरान शिक्षक और शिक्षिका मौजूद होते हैं।
स्कूल में शनिवार का आधा दिन मनोरंजन का समय
कंपोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय में स्कूल में पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा हो इस वजह से हर शनिवार को आधे दिन पढ़ाई होती है और आधे दिन मस्ती। बच्चे शनिवार के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। बच्चे हर खेल और एक्टिविटी में उत्साह से भाग लेते हैं।
हाथ गोला घुमाई खेल
बच्चे इसमें गोलाकार बड़ी सी रिंग लेते हैं और इसे अपने हाथ में डालकर घूमाते हैं। जितना तेजी और देर तक बच्चा इस रिंग को घूमा सकता है वो घूमता है जब रिंग गिर जाती है तो बच्चा खेल से बाहर।
कमर से गोल घूमना खेल
रिंग के माध्यम से खेला जाने वाला ये दूसरे प्रकार का खेल है और मजेदार भी। इस खेल में बच्चे दो के जोड़े में रिंग कमर में डालते हैं और घूमते हैं। दोनों बच्चे इस छोटी सी जगह में कैसे संभाल पाते हैं ये देखने वाली बात होती है। इसे देखने वाले और खलने वाले दोनों खूब हँसते हैं।
इसी तरह अकेले कमर में रिंग डालकर कमर को हिलाते हैं ताकि कमर में गोल-गोल रिंग घूमें बिना गिरे। एक प्रतियोगी कितनी देर तक कमर में फंसाकर घूमा सकता है।
कुर्सी दौड़
कुर्सी दौड़ में कुर्सियां कम होती है और एक बच्चा ज्यादा। इस खेल में पांच कुर्सी और छह बच्चे होते हैं। कुर्सियों को एक सीधे और एक उल्टे के क्रम में रखा जाता है। बच्चे दौड़ते हैं और जो बच्चा कुर्सी पर नहीं बैठ पाता वो खेल से बाहर हो जाता है।
खेल भाई खेल
इस खेल में बच्चों का ग्रुप बनाया जाता है। टीचर 1 से लेकर 10 तक गिनती में कोई भी संख्या बोलते हैं और जो संख्या बोली गई है उतने बच्चों को भागकर एक दूसरे को पकड़ना होता है ठीक जैसे तस्वीर में दिखाया गया है। यदि पांच नंबर बोला तो 5-5 लोगों को ही इकट्ठा होना है अगर 6 लोग हो गए तो ग्रुप आउट हो माना जाता है।
इस तरह के खेल बच्चों और टीचरों के लिए भी तनाव को कम करता है। इस तरह की गतिविधि स्कूलों में करवाई जानी चाहिए ताकि बच्चों को पढ़ने में और टीचर को पढ़ाने में मजा आए। बच्चों को इस तरह के खेल, गतिविधि शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत करते हैं। बच्चे एक दूसरे को समझते हैं और टीचरों के प्रति भी उनमें आदर भाव जगता है।
रिपोर्ट व तस्वीर – श्यामकली, लेखन – सुचित्रा
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