महोबा जिले के कुलपहाड़ कस्बे के रहने वाले डॉ. सनत राजपूत ने प्रकृति को स्वस्छ बनाने का निश्चय लिया है। उनका कहना है कि अगर हम प्रकृति को बचाएंगे तो प्रकृति भी हमें बचाएगी।
आगे बताया, लगभग 4 महीने पहले उनके एक दोस्त ने कुलपहाड़ के एक तालाब के बारे में बताया था जिसमें नहाने से दाद, खुजली इत्यादि बीमारी ठीक हो जाती है। जब वह उस तालाब के पास गए तो उन्होंने देखा कि तालाब कपड़ों से घिरा हुआ था। पेड़-पौधों पर भी कपड़े बंधे हुए थे।
ये भी देखें – क्या मानव ही है प्रकृति के दोहन का दुष्परिणाम? द कविता शो
आगे कहा, प्रकृति ने हमें कई औषधियां दी हैं। पहाड़ जिन पर कई जड़ी-बूटियां है और जब बरसात का पानी इन्हीं सब से गुज़रकर तालाब में मिलता है तो वह तालाब के पानी को भी जड़ी-बूटी युक्त बना देता है।
वह कहते हैं कि वह हर दस दिन में अभियान के तहत दिन निर्धारित करके तालाब के पास जाते हैं और कपड़ों को इकट्ठा करते हैं ताकि प्रकृति के साथ-साथ वह भी सुरक्षित रहें।
ये भी देखें – प्रकृति से प्रेम की अनोखी मिसाल, प्रेम सिंह की बगिया
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’