महोबा जिले के गांव न्यूरिया की 56 वर्षीय श्यामा देवी आज भी अपने हाथों से चक्की चलाकर आटा पीसती हैं। 8 साल की उम्र से उन्होंने यह परंपरा निभाई है — पहले दिनभर मेहनत, खेत-खलिहान और फिर हाथ की चक्की से पीसना। श्यामा देवी बताती हैं कि आज भी उन्हें अपने हाथों से आटा पीसना अच्छा लगता है, क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ रखता है और परंपरा से जोड़ता है। यह वीडियो भारत की ग्रामीण संस्कृति, मेहनतकश महिलाओं की शक्ति और आत्मनिर्भरता की सच्ची झलक पेश करता है।
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