महोबा जिले के विभिन्न गाँवों के किसान खाद न मिलने की वजह से तकरीबन आठ दिनों से परेशान हैं। किसानों का कहना है कि उनके खेतों की बुवाई का समय है। वह कहते हैं कि उन्हें खाद के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है। सुबह खाना-पीना छोड़कर किसान खाद गोदाम में जाकर बैठ जाते हैं लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें खाद नहीं मिलती। वह कहतें हैं कि अगर खाद नहीं डलती तो पैदावार भी अच्छी नहीं होती।
महोबा जिले में बहुत-सा क्षेत्र पथरीला है। कहीं पर भी कुआं या बोर का साधन नहीं है जिससे की किसान खेतों की बुवाई कर सकें। अब उन्हें खाद भी नहीं मिल रही है। किसान कहते हैं कि कई किसानों ने बैंक से कर्ज़ा लिया है तो किसी ने साहूकार से। जब वह समय रहते क़र्ज़ नहीं चुका पाते तो प्रशासन नोटिस चिपका जाती है। क़र्ज़ के बोझ तले किसान आत्महत्या करने को मज़बूर हो जाता है।
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किसान सेवा सहकारी समिति के रविंद्र कुमार पाठक अकाउंटेंट कहते हैं कि जब तक उनके यहां सचिव नहीं आएगा वह खाद नहीं बांटेंगे।
बिपिन रावत ने बताया कि उन्होंने 15 हज़ार रूपये के मटर के बीज खरीदे थे। गांव की सोसाइटी जहां खाद मिलती है वह भी नहीं खुलती। इसी वजह से वह खाद के लिए आठ दिनों से कुलपहाड़ की तरफ भाग रहे हैं लेकिन फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल रही।
सुगिरा गांव की अनीता कहती हैं कि इस समय खाद के लिए मारामारी मची हुई है। हज़ारों की संख्या में किसान इकठ्ठा हो रखे हैं। बुवाई का सीज़न है पर खाद ही नहीं मिल पा रही है। किसान रोज़ आते हैं, दिन-भर बैठते हैं और इंतज़ार करके लौट जाते हैं।
ओमप्रकाश कहते हैं कि वह बेलाताल कैथौरा और कुलपहाड़ की सोसाइटी देख आये हैं लेकिन उन्हें फिर भी खाद नहीं मिली।
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