जय सिंह ने बताया कि “बचपन से ही खेती-किसानी का काम कर रहे हैं और चैत के महीने में उनकी दिनचर्या बहुत कड़ी हो जाती है। यह वह समय होता है जब उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती, क्योंकि वे अपनी फसल को जितना जल्दी हो सके समेटने की कोशिश करते हैं।”
रिपोर्ट – श्यामकली, लेखन – सुनीता प्रजापति
यूपी के महोबा जिला मुढारी गांव के निवासी जय सिंह एक किसान हैं और खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष की कुछ जरुरी बातें बताई जो आपको भी जाननी चाहिए। जय सिंह ने कहा कि “हम किसान बहुत मजबूत हो गए हैं। धूप में रहते हुए भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर हम धूप को देखेंगे, तो अपने घर अनाज नहीं ला पाएंगे। जब तक फसल पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाती, तब तक किसी भी किसान के लिए दिन और रात का कोई फर्क नहीं होता।”
किसानों के लिए चैत के महीने में ज्यादा मेहनत
चैत्र का महीना जोकि 15 मार्च से शुरू होता है और अप्रैल तक चलता है। किसानों के लिए खास होता है क्योंकि यही वह समय होता है जब अपनी कटी हुई फसलों को समेटा जाता है। इस महीने में किसानों को सोने तक का समय नहीं होता।
जय सिंह ने बताया कि “बचपन से ही खेती-किसानी का काम कर रहे हैं और चैत के महीने में उनकी दिनचर्या बहुत कड़ी हो जाती है। यह वह समय होता है जब उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती, क्योंकि वे अपनी फसल को जितना जल्दी हो सके समेटने की कोशिश करते हैं।”
फसल को जल्दी समेटने का तरीका
जय सिंह ने खेती के एक विशेष उपकरण के बारे में बताया वह कहते हैं, “हमारे पास एक लकड़ी होती है जिसमें दो कांख (एक लकड़ी के दो डाल) होते हैं। इस लकड़ी का उपयोग हम मटर की फसल को जल्दी से समेटने और उठाने के लिए करते हैं। इसमें हम फसल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं और यह तरीका हमें रस्सी से बंधने का झंझट भी नहीं देती, जिससे समय की बचत होती है।”
किसान की दिनचर्या और कठिनाइयाँ
जय सिंह बताते हैं कि किसानी का काम साल भर चलता है। जब से हम खेतों में बुवाई करते हैं, तब से लेकर फसल तैयार होने तक हमें खेतों की देखभाल करनी पड़ती है। चैत्र के महीने में तो सुबह 4 बजे उठकर खेतों में काम करने निकल पड़ते हैं। इस महीने में बहुत ध्यान रखना पड़ता है कि क्योंकि कभी भी पानी की बूंदाबादी या आंधी (बड़ेरा) आ जाता है।”
जय सिंह ने बताया कि 15 साल पहले बैलों की मदद से खेती की जाती थी और उन्ही की मदद से अनाज निकाला जाता था। लेकिन अब टैक्टर और थ्रेसर की मदद से काम जल्दी और आसान हो जाता है।
नई पीढ़ी और खेती की बदलती स्थिति
जय सिंह यह भी बताते हैं कि अब की पीढ़ी (बच्चे) खेती किसानी में उतना मेहनत नहीं करना चाहते। भले ही उनके पास पैसा न हो, लेकिन वे खेती को जल्दी और आसान तरीके से करना चाहते हैं। अब मशीन की मदद से खेतों में काम बहुत तेजी से होता है। जो पुराने तरीके थे, वे अब बदल चुके हैं। यह बदलाव न केवल किसानों के काम करने का तरीका बदल रहा है, बल्कि खेती के नए तरीके भी शुरू कर रहा है।
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