पार्क में लगे ढेरों पेड़ पौधे और अनगिनत रंग बिरंगे खुशबूदार फूलों से लोग खुश हो जाते हैं। हालांकि ग्रामीण लोग को शहरों के पार्क से ज्यादा अपने खेत खलियान की याद आती है।
रिपोर्ट – श्यामकली, लेखन – सुचित्रा
गांवों के खेत, मेड़, खलियान और हरियाली में बसे लोग आज भी शहरों में वही सब ढूंढते है जो गांव में उन्हें मिल जाता था। गांव में मौजूद ये सभी प्रकृति की देन है इसमें कोई मिलावट नहीं होती एक दम शुद्ध हवा और शुद्ध वातावरण। अब इन सब की जगह पार्कों ने ले ली है। शहरों में, मोहल्ले में अब पार्क की सुविधा है, जहां लोग जाकर पेड़ पौधे और फूलों की खुशबू के बीच कुछ पल गुजारते हैं और अपनी सेहत पर कोई आंच न आए इसलिए भी वह पार्क बनवाने की मांग भी करते हैं।
शहर में बसे ग्रामीणों के लिए पार्क ही होता है जहां उन्हें जाकर सुकून महसूस होता है। ऐसे ही यूपी के महोबा का पार्क है शिव तांडव पार्क। यहां पर आस पास के सभी लोग चाहे वो ग्रामीण हो या शहरी सभी अपनी थकान को बोझ हल्का करने इस पार्क में चले आते हैं।
पहाड़ों की गोद में बना मनोरम स्थल
शिव तांडव पार्क 30 सितंबर 2022 को बनकर पूरा हुआ था। दो पहाड़ों के बीच बसे इस पार्क के एक ओर पुलिस लाइन रोड, दूसरी ओर कलेक्ट्रेट, और समीप में ही घनी बस्ती है। शिव मंदिर के निकट बने इस पार्क का प्राकृतिक सौंदर्य इसे महोबा शहर का विशेष आकर्षण बनाती है।
पार्क में सुविधा
- पार्क के चौकीदार धूराम के अनुसार, यह पार्क लगभग 700 मीटर क्षेत्रफल में फैला है। यह प्रतिदिन सुबह 5:00 से 8:00 बजे तक, और शाम 3:00 से 8:00 बजे रात तक आम जनता के लिए खुला रहता है। सप्ताह के रविवार को विशेष भीड़ देखी जाती है।
- यहां स्वच्छ जल (आरओ), सुलभ शौचालय, बैठने की उचित व्यवस्था, बच्चों के खेल उपकरण, और जिम जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। पार्क में लाइट की व्यवस्था भी अच्छी है, जिससे शाम के समय भी घूमने में कोई परेशानी नहीं होती।
- महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं के लिए सामाजिक जुड़ाव का माध्यम
- पार्क में आने वाली अनुराधा और मीरा, जो स्थानीय निवासी हैं, बताती हैं कि यहां आकर उन्हें मानसिक राहत और सामाजिक जुड़ाव का अनुभव होता है। वे कहती हैं कि घर की रोज़ की परेशानियों से कुछ समय के लिए राहत मिलती है और सहेलियों के साथ समय बिताकर मन खुश होता है।
ग्रामीणों को याद आता है अपने गांव की हरियाली
स्पेन्द्र, जो गांव रिवाई के रहने वाले हैं और महोबा में रहकर पढ़ाई करते हैं, बताते हैं कि पार्क में आकर उन्हें शारीरिक और मानसिक ऊर्जा मिलती है। “पढ़ाई के साथ-साथ सेहत भी जरूरी है।”
उन्होंने बताया कि गांव में तो हरियाली इतनी है कि वहां पार्क नहीं है और न ही वहां कोई जरूरत है। वहां तो घर से बाहर निकलते ही हरियाली और सुबह शाम सैर और सुकून से बागान (जहां पेड़ पौधे लगे होते हैं खेत से अलग घर के पास में एक जगह) में पेड़ के नीचे चारपाई डाल के पढ़ो तो पढ़ने में भी मन लगता था। अब यहां तो वैसे कुछ हमें मिल नहीं सकता इसलिए ये पार्क है तो हमारे लिए भी राहत है।
जिम्मेदारियों को समझाते चौकीदार
चौकीदार धूराम बताते हैं कि वह नियमित तौर पर लोगों को जागरूक करते हैं कि कचरा (पॉलिथीन, प्लास्टिक आदि) डस्टबिन में ही डालें और खेल उपकरणों का सावधानीपूर्वक उपयोग करें, ताकि पार्क की सुंदरता और सुविधा बनी रहे। बच्चों के लिए लगाए गए खेल उपकरणों को 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए ही उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
महिलाओं के लिए ओपन जिम बना वरदान
शिव तांडव पार्क में लगाए गए ओपन जिम की सबसे बड़ी खासियत है कि यह मुफ्त और सार्वजनिक है। एक महिला कहती हैं, “हम दोनों पति-पत्नी काम करके आते हैं और थोड़ी देर पार्क में आकर जिम करते हैं, जिससे शरीर में ताजगी महसूस होती है और थकान उतर जाती है।”
महोबा का यह पार्क लोगों की सुविधा के लिए खोला गया है। जहां जाकर लोग कुछ देर के लिए आराम करते हैं। पार्क में लगे ढेरों पेड़ पौधे और अनगिनत रंग बिरंगे खुशबूदार फूलों से लोग खुश हो जाते हैं।
हालांकि ग्रामीण लोग को शहरों के पार्क से ज्यादा अपने खेत खलियान की याद आती है। उनके लिए शायद ही कोई पार्क खेत खलियान बन पाए जहां वे कभी भी बिना किसी रोक टोक के आ जा सके। किसी भी तरह का खेल खेल सके, पेड़ों पर चढ़ सके या फिर अपनी पसंद के फल तोड़ के खा सके। ये सब गुम हैं कहीं इन पार्कों में, जो याद दिलाता है गांव की, वहां की मिट्टी की और खट्टी मीठी यादों की।
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