महोबा जिले का एक विशाल तालाब जो बेलाताल के नाम से प्रसिद्ध है बेलाताल का इतिहास एक अदभुत कहानी है जैसे कि लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि यह चंदेल राजा परमालदेव के पुत्र ब्रम्हा का बनवाया हुआ
ऐसा बताया गया है कि इसका नाम ब्रम्हा ने अपनी रानी बेला के नाम पर बेला तालब रखा था साथ ही ही बेलाताल अपनी बहादुरी के लिए भी जाना जाता है यह अल्हा उदल की नगरी भी है बेलाताल को जैतपुर के नाम से भी जाना जाता है तो सुनते है
यहां के बड़े बुजुर्ग और बच्चो से इसकी कहानी कहते हैं कि जो बेलाताल का नाम पड़ा हुआ है वह तालाब के नाम से पड़ा हुआ है एक ऋषि मुनि जंगल में रहते थे उसका नाम था जयंत नाम के ऋषि मुनि रहते थे घूमने के लिए बेल ब्रह्म आए थे जैसे ही जयंत नाम के ऋषि मुनि तपस्या कर रहे थे
बेल ब्रह्म की मुलाकात हुई तो ऋषि मुनि ने बोला था कि यहां पर तालाब खुदाया जाए और यहां पर बस्ती भी करा कराई जाए 1100 30वी में तालाब खुद वाया गया था जोकि पहले चंदेल राजाओं के जमाने में कोई बस्ती नहीं थी बेलाताल में जंगल ही था
जैसा ही तालाब बना और बस्ती हुई तो बेलाताल के नाम से गांव का नाम रखा गया है तालाब तो खुदा खुद गया था पर उसमें पानी नहीं था तो कहते हैं कि युगल का झुलाया जाए तो इंद्रदेव पसंद होंगे जैसा ही नए युवक का झूल येगया और इंद्र देव बरसने लगे उस तालाब में नए समाहित हो गए तो आज भी कहते हैं कि यहां पर दिवाली दशहरा एक कटोरा निकलता है
महोबा में गौ-माता को रोटी खिलाने की ये नई पहल शुरू हुईजो उसको बेला बोलते हैंचंदेल राजा मदन ब्रह्म के पुत्र विलब्रह्म ने इस तालाब का निर्माण कराया गया था उसी समय से तालाब के नाम से ही बेलाताल गांव का रखा गया है नाम इस तालाब के पास महल भी आज भी बने हैं और ताला तो हर जगह नाम से प्रसिद्ध है लेकिन ताला तो ताला ही हैं और हर जगह के ताला ताला यही हैं बेलाताल का नाम प्रसिद्ध माना गया है
अपने महोबा जिला में इतना बड़ा तालाब नहीं है जितना बेलाताल का तालाब है इसी वजह से इस तालाब के नाम से ही फेमस है गांव इस बेला ताल से गाने भी बने हुए हैं जो आज भी महिलाएं गाती हैं कुछ तो महिलाएं सावन के महिने बनाए हुए हैं कुछ तत्व हैं कुछ मकर संक्रांत के समय के भी बने हुए हैं
बेलाताल के नाम से गाने 26 वर्क हेक्टेयर का तालाब है बेला तालाब जो आस पास नहीं हैजिला महोबा ब्लाक जैतपुर कस्बा बेलाताल तहसील कुलपहाड़ कोतवाली कुलपहाड़ जिला महोबा जयंत के नाम से जैतपुर नाम रखा गया था बेल ब्रह्म के नाम से जो तालाब खुद वाया गया था इस वजह से बेलाताल गांव का नाम रखा गया है