खबर लहरिया Blog Maharashtra, Dalit Organisation Front: औरंगाबाद में कई दलित संगठनों ने निकाले RSS के खिलाफ रैली 

Maharashtra, Dalit Organisation Front: औरंगाबाद में कई दलित संगठनों ने निकाले RSS के खिलाफ रैली 

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कई दलित संगठनों और दलित समाज के हजारों लोगों ने RSS के खिलाफ मार्च निकाला। महाराष्ट्र के अंबेडकरवादियों का आरोप है कि RSS संविधान को हटाकर मनुस्मृति लागू करना चाहता है।

photo of Dalit Morcha

दलित मोर्चे की तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

देश में दलितों के खिलाफ घटनाएं लगातार सामने आती ही रहती हैं। कभी देश के चीफ जस्टिस बी आर गवई पर जूता फेंका जाता है तो कभी कभी हरियाणा के आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार जिसे दलित अधिकारी जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न झेलते हुए आत्महत्या कर लेते हैं। कभी RSS के लोगों द्वारा किसी लड़के का यौनशोषण करने की खबर सामने आती है जिससे वो अपनी जान तक दे देता है। इतना ही नहीं कभी किसी दलित बुजुर्ग व्यक्ति को पेशाब पिलाने में मजबूर किया जाता है तो कभी किसी दलित युवक को पैर धुलवा कर वो गंदा पानी पीने को मजबूर किया जाता है। कहीं भीड़ द्वारा पीट-पीटकर दलित युवक की हत्या कर दी जाती है। 

रोज-रोज इस तरह की होने वाली घटना यह साफ करती है कि दलित समाज के लोग चाहे वो आम जनता हो या उच्च पदों के लोग हो भेदभाव और अन्याय के शिकार रहते हैं। लेकिन अब ऐसे ही परिस्थितियों के बीच महाराष्ट्र के औरंगाबाद में दलित समाज के हज़ारों लोगों ने RSS के खिलाफ एक बड़ा मार्च निकाला है। अंबेडकरवादी संगठनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय के ठीक बाहर पहली बार सीधा जन आक्रोश मोर्चा निकाला। जारों प्रदर्शनकारियों ने ‘जय भीम’ और ‘मनुवाद मुर्दाबाद’ RSS वापस के नारे लगाए।                                                 

फोटो साभार: सोशल मीडिया

ये मोर्चा VBA (वंचित बहुजन आघाडी) ने छत्रपति संभाजी नगर में शुरू किया गया। इसके बाद लाखों अंबेडकरवादी सड़कों पर हैं। विरोध प्रदर्शन के चलते औरंगाबाद में 7000 से ज़्यादा पुलिस बल तैनात की गई थी। दरअसल सोनई गांव में एक दलित युवक पर बरबर हमला हमला हुआ था उसे अगवा कर बुरी तरह से पीटा भी गया और अपमानित किया गया। प्रकाश अंबेडकर का आरोप है कि हमलावरों का संबंध RSS से था। उन्होंने इस घटना कि निंदा की और आरोपियों पर सख्त कार्यवाही करने की भी मांग की। जिसके बाद RSS के खिलाफ दलित संगठन सड़कों पर आ गए।  

वंचित बहुजन आघाडी (VBA) के इस शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त आंदोलन का केंद्र तीन प्रतीकात्मक उपहार थे, जिन्हें संगठन ने RSS को सौंपने का इरादा जताया था- भारतीय संविधान की प्रति, राष्ट्रीय तिरंगा और महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट की प्रति।
इन तीनों उपहारों का मकसद था RSS को संवैधानिक मूल्यों, राष्ट्रीय एकता और कानूनी दायित्वों की याद दिलाना। VBA का कहना था कि यह कदम RSS की वैचारिक कमजोरियों को उजागर करने का प्रतीक भी है। प्रदर्शन में हजारों लोग शामिल हुए और उन्होंने फुले-शाहू-अंबेडकरवादी विचारधारा को मजबूत करने तथा RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। यह आंदोलन अंबेडकरवादी राजनीतिक समूहों और संगठनों के संयुक्त प्रयास से आयोजित हुआ था। इस मोर्चे का नेतृत्व सुजात अंबेडकर (डॉ. बी.आर. अंबेडकर के प्रपौत्र) ने किया जबकि VBA के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट प्रकाश अंबेडकर ने इसे राजनीतिक हिम्मत का प्रतीक बताया।

मूकनायक के रिपोर्टिंग अनुसार स्थानीय स्तर पर सम्यक विद्यार्थी कॉलेज जैसे छात्र संगठनों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। ये वही छात्र हैं जिन्होंने हाल ही में RSS के ‘Join RSS’ अभियान का विरोध किया था।

प्रदर्शन स्थल पर सुजात अंबेडकर ने कहा “हम यहां हिंसा फैलाने नहीं आए हैं बल्कि RSS को यह याद दिलाने आए हैं कि कोई भी संगठन संविधान से ऊपर नहीं है।” उन्होंने यह भी बताया कि VBA RSS को तीन प्रतीकात्मक उपहार देने आया है। संविधान की प्रति, तिरंगा और महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट की प्रति ताकि उन्हें संवैधानिक मर्यादाओं का सम्मान करने की याद दिलाई जा सके।

‘बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान से चलेगा, मनुवाद से नहीं’

यह प्रदर्शन RSS के हाल ही में चलाए गए ‘Join RSS’ अभियान के विरोध में हुआ जो औरंगाबाद के पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में बिना अनुमति चलाया गया था। जब VBA से जुड़े सम्यक विद्यार्थी कॉलेज के छात्रों ने इस पर आपत्ति जताई तो उन पर ही गैर-जमानती धाराओं में मुकदमे दर्ज कर दिए गए। सुजात अंबेडकर ने सवाल उठाया कि जब RSS जैसे संगठन को कॉलेज में घुसने की इजाजत दी जा सकती है तो लोकतांत्रिक तरीके से सवाल करने वाले छात्रों पर कार्रवाई क्यों की गई? VBA के प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने कहा कि RSS को पहले खुद कानूनी रूप से पंजीकृत होना चाहिए और यह देश बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान से चलेगा, मनुवाद से नहीं। वहीं, VBA के राज्य उपाध्यक्ष फारुख अहमद ने RSS को ‘देशद्रोही संगठन’ करार देते हुए कहा कि जो संगठन संविधान, तिरंगे और अशोक स्तंभ का सम्मान नहीं करता, वह देशभक्त नहीं हो सकता और RSS प्रमुख मोहन भागवत को जेल में भेजा जाना चाहिए।

सुरक्षाबलों द्वारा रोका गया 

VBA ने छत्रपति संभाजी नगर में RSS कार्यालय के सामने जन आक्रोश मार्च निकाला। कार्यकर्ता ने नारेबाज़ी करते हुए RSS कार्यालय की ओर बढ़े लेकिन सुरक्षाबलों ने पहले से बेरीगेट तैनात कर उन्हें रोक लिया। सूजात अंबेडकर ने तंज कसते हुए कहा कि  “शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए 7,000 पुलिसकर्मी क्यों तैनात? RSS का यह कायराना रवैया संविधान और तिरंगे के प्रति उनकी घृणा को उजागर करता है।” मकतूब से बात करते हुए अंबेडकर ने कहा, “हम वहां हिंसा भड़काने नहीं गए थे बल्कि आरएसएस को यह याद दिलाने गए थे कि कोई भी संगठन भारत के संविधान से ऊपर नहीं है।”

 

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‘अंबेडकरवादी विचारधारा से चलेगा, मनुवाद से नहीं’ प्रकाश अंबेडकर 

इस विषय पर प्रकाश अंबेडकर ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि “RSS मुर्दाबाद! मनुवाद मुर्दाबाद” उन्होंने आगे लिखा “पूरे देश में RSS के खिलाफ हमारे जन आक्रोश मोर्चा की चर्चा हैं। हमने कल पूरे देश को बताया की हमारा देश फुले, शाहू और अंबेडकरवादी विचारधारा से चलेगा मनुवाद से नहीं। प्रशासन और पुलिस द्वारा हमें RSS के खिलाफ मोर्चा निकालने से रोकने के कई प्रयास किए गए लेकिन हम रुके नहीं। RSS के खिलाफ उसके दरवाजे के सामने मोर्चा निकलने की राजनीतिक हिम्मत बस और बस वंचित बहुजन आघाड़ी में हैं! लेकिन मैं हर दूसरी पार्टी से पूछना चाहता हूँ वंचित बहुजन आघाड़ी ने कल जो किया, वह आप इतने सालों में क्यों नहीं कर सके? यही सवाल वंचित बहुजन आघाडी का कार्यकर्ता अब हर दूसरी पार्टी से पूछेगा। कल RSS ने हमारे हाथों से भारत का संविधान और तिरंगा लेने से इनकार कर दिया। मैं एक फिर दोहराता हूँ, हमारा देश फुले, शाहू और अंबेडकरवादी विचारधारा से चलेगा, मनुवाद से नहीं।”

बता दें प्रकाश अंबेडकर एक भारतीय राजनीतिज्ञ, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पोते हैं। वह ‘वंचित बहुजन अघाड़ी’ नामक राजनीतिक दल के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। उन्होंने दो बार लोकसभा और एक बार रजयसभा सदस्य के रूप में संसद में काम किया है। 

मोर्चे के दौरान VBA के फुले-शाहू-अंबेडकरवादियों ने पांच सूत्री शपथ ली:

  1. RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग।
  2. बाबासाहेब के संविधान की रक्षा।
  3. फुले-शाहू-अंबेडकरवादी विचारधारा पर चलना।
  4. भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना को कभी वोट न देना।
  5. देश को फुले-शाहू-अंबेडकरवाद से चलाना, मनुवाद से नहीं। 

“यह सिर्फ़ विरोध प्रदर्शन नहीं है, यह एक चेतावनी है” 

मकतूब के रिपोर्टिंग अनुसार अंबेडकर ने कहा कि वीबीए ने आरएसएस को तीन प्रतीकात्मक उपहार सौंपने का इरादा किया था: भारतीय संविधान की एक प्रति “आरएसएस को संवैधानिक ढांचे के तहत अपनी गतिविधियों का पालन, सम्मान और संचालन करने के लिए प्रेरित करने हेतु” राष्ट्रीय ध्वज “आरएसएस को अपने सभी कार्यालयों में इसे गर्व से फहराने और स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने से रोकने के लिए याद दिलाने हेतु जैसा कि वे इसकी स्थापना के बाद से करते आ रहे हैं और महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम की एक प्रति “आरएसएस जो एक अपंजीकृत निकाय है को अंततः भारतीय कानून के तहत खुद को पंजीकृत करने में मदद करने हेतु।” हालांकि प्रदर्शनकारियों के गेट तक पहुंचने से पहले ही आरएसएस के सदस्य कथित तौर पर यह कहते हुए कार्यालय से भाग गए कि कार्यालय बंद है। अंतत औरंगाबाद के पुलिस उपायुक्त ने आरएसएस की ओर से उपहार स्वीकार किए। उन्होंने कहा “उन्होंने हमें बताया कि कार्यालय में काम नहीं हो रहा है और हम वहां पहुंच भी पाते उससे पहले ही वे वहां से चले गए।”

अंबेडकर ने शुक्रवार को आरएसएस मुख्यालय के बाहर अपने संबोधन में कहा “यह सिर्फ़ विरोध प्रदर्शन नहीं है, यह एक चेतावनी है। संविधान जनता का है नागपुर का नहीं। आरएसएस इससे हमेशा के लिए नहीं छिप सकता।”

 

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