महाकुंभ में खबर लहरिया की मुलकात रानी से हुई। वह फ़तेहपुर ज़िले से हैं और अपने माँ-पिता के साथ सफाई करने का काम करने आई है। वह आठवीं तक पढ़ी हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। आज 15 जनवरी 2025 को प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ का तीसरा दिन है। महाकुंभ की शुरुआत अमृत स्नान से हुई जिसमें करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। इस महाकुम्भ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को हुई और यह महाकुंभ 26 फरवरी 2025 को ख़त्म होगा।
यह विश्व का सबसे बड़ा मेला माना जाता है जो 12 साल बाद आता है। यहां देश के अलग-अलग राज्यों से लोग यहां स्नान करने आते हैं। इस बड़े महाकुंभ की कवरेज करने के लिए कई रिपोर्टर प्रयागराज के संगम तट से खबर कर रहे हैं। इस बार महाकुम्भ में क्या खास है? महाकुम्भ का इतिहास, महाकुम्भ में क्या सुविधाएं हैं? महाकुम्भ में आप कैसे जा सकते हैं? महाकुंभ को लेकर लोगों के विचार क्या है? महाकुंभ से जुड़ी सभी जरुरी बातें और खबर की रिपोर्टिंग करने हमारी खबर लहरिया की टीम भी प्रयागराज पहुँच चुकी है। इन दो दिनों में प्रयागराज में महाकुम्भ में क्या कुछ देखने और सुनने को मिला उसे आप भी देख सकते हैं और महसूस कर सकते हैं।
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महाकुंभ का पहला ‘अमृत स्नान’
महाकुम्भ का पहला स्नान जिसे ‘अमृत स्नान’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन यानी कल मंगलवार 14 जनवरी 2025 को स्नान के लिए घाट पर साधु, नागा बाबाओं और भक्तों की काफी भीड़ दिखाई दी। अमृत स्नान यानी पहले स्नान में कई प्रकार के ‘अखाड़ों’ से जुड़े संतों और महत्मा साधुओं और भक्तों ने संगम में स्नान किया, भीड़ को देख के ऐसा लग रहा है जैसे जन सैलाब उमड़ आया हो।
संगम तट के 2 किलोमीटर की दूरी से ही लोगों की काफी भीड़ है। खबर लहरिया की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ रास्ते बंद किए गए हैं जिससे लोगों की भीड़ और इकट्ठा हो गई है।
महाकुम्भ में रोजगार का अवसर, सफाई कर्मचारी बनी युवा
महाकुंभ में खबर लहरिया की मुलकात रानी से हुई। वह फ़तेहपुर ज़िले से हैं और अपने माँ-पिता के साथ सफाई करने का काम करने आई है। वह आठवीं तक पढ़ी हैं। यहां देखें रिपोर्ट।
महाकुंभ का प्रसिद्ध पॉन्टून का पुल
महाकुम्भ में पॉन्टून के पुल से काफी लोगों की भीड़ पुल से होकर गुजर रही है। आप इसका वीडियो यहां देख सकते हैं।
महाकुम्भ में बजते ढोल नगाड़े की धुन
महाकुंभ में किन्नर समुदाय की मौजूदगी
आप ने महाकुम्भ में नागा बाबाओं और साधु संतों के बारे में सुना होगा और देखा भी होगा। क्या आप ने महाकुम्भ में किन्नर समुदाय को देखा या उनके जीवन संघर्ष के बारे में जानने की कोशिश की? आखिर एक किन्नर को साधवी बनने के लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और यह समाज किस तरह से उनके साथ भेदभाव करता है? इन सभी प्रश्नों के जवाब का पता करने के लिए खबर लहरिया ने किन्नर समुदाय की कौशल्या नन्द गिरी से बातचीत की।
महाकुंभ में डिजिटल सुविधा
महाकुम्भ के मेले में इस बार 300 से अधिक AI सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जो लोगों को और वहां की सुरक्षा को कैद करेंगे। यदि किसी के खोने की खबर मिली हो तो कैमरे की मदद से उसे ढूंढा जा सके।
महाकुंभ का इतिहास?
महाकुंभ की शुरुआत लिखित दस्तावेज के अनुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला तो उसे दानवों से बचाने के लिए इंद्र के बेटे जयंत अमृत कलश लेकर भाग गए। जब जंयत भाग रहे थे तब अमृत की बूंदे चार जगहों पर गिरी जिसमें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नाशिक शामिल है। जंयत 12 साल तक भागते रहे इसलिए यह महाकुंभ इन 4 जगहों पर 12 साल बाद लगता है।
महाकुंभ से जुड़ी और भी ख़बरों के लिए आप फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर जाकर देख सकते हैं। महाकुंभ के खत्म होने तक हम आपको महाकुम्भ से जुड़ी और भी जानकारी बताएंगे।
द्वारा लिखित – सुचित्रा
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