खबर लहरिया National Mahakumbh 2025: आस्था की भीड़, प्रशासन की उदासीनता: क्या मौतें अब परंपरा बन चुकी हैं?

Mahakumbh 2025: आस्था की भीड़, प्रशासन की उदासीनता: क्या मौतें अब परंपरा बन चुकी हैं?

महाकुंभ 2025: हर बार की तरह इस बार भी हादसे हुए, लोग तड़पते रहे, दम तोड़ते रहे, और प्रशासन—वो हमेशा की तरह नाकाम साबित हुआ। महाकुंभ में आस्था की भीड़ उमड़ती है, लेकिन क्या जाम में फंसकर मर जाना भी इसकी परंपरा बन चुका है? सरकार और प्रशासन के लिए यह महज एक ‘इवेंट मैनेजमेंट’ है, जिसमें शोभायात्राएं, वीआईपी दर्शन और भव्य आयोजन सुर्खियां बटोरते हैं। लेकिन सड़कों पर घंटों जाम में फंसे श्रद्धालु, एंबुलेंस में दम तोड़ते मरीज और भूख-प्यास से बेहाल लोग इनकी प्राथमिकता में कहीं नहीं हैं। जब तक कोई मंत्री, कोई बड़ा अधिकारी या कोई वीआईपी खुद इस जाम में नहीं फंसेगा, तब तक शायद यह तमाशा ऐसे ही चलता रहेगा। सवाल यही है—क्या अब मौतें भी हर धार्मिक आयोजनों की परंपरा बन गई हैं?

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