खबर लहरिया Blog Madhya Pradesh’s Damoh: एक फर्जी डॉक्टर की सर्जरी से 7 लोगों की मौत, कथित तौर पर छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत से जुड़ा मामला

Madhya Pradesh’s Damoh: एक फर्जी डॉक्टर की सर्जरी से 7 लोगों की मौत, कथित तौर पर छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत से जुड़ा मामला

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल में अपने दो महीने के कार्यकाल के दौरान एन जॉन कैम ने करीब 70 मरीजों की जांच की और 13 का ऑपरेशन किया था। इनमें से सात की कथित तौर पर सर्जरी के बाद मौत हो गई।

मध्य प्रदेश के दमोह के मिशन अस्पताल की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

लेखन – सुचित्रा

मध्य प्रदेश के दमोह में एक फर्जी डॉक्टर एन जॉन कैम ( ​डॉ. नरेंद्र जॉन कैम) को कल सोमवार 7 अप्रैल 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया गया। फर्जी डॉक्टर पर आरोप है कि उसके द्वारा ऑपरेशन से 7 लोगों की मौत हो गई। यह आरोप जाँच के बाद सामने आया। यह जाँच कलेक्टर सुधीर कोचर के आदेश पर की गई थी। इसकी जानकारी अधिकारियों ने शनिवार 5 अप्रैल 2025 को दी थी।

यह मामला तब सामने आया जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल / Mission Hospital में सात लोगों की मौत की जांच शुरू हुई।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के दमोह जिले के ईसाई मिशनरी अस्पताल में अपने दो महीने के कार्यकाल के दौरान एन जॉन कैम ने करीब 70 मरीजों की जांच की और 13 का ऑपरेशन किया था। इनमें से सात की कथित तौर पर सर्जरी के बाद मौत हो गई।

मध्य प्रदेश में फर्जी डॉक्टर का नाम और पहचान

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि फर्जी डॉक्टर को भोपाल स्थित एक एजेंसी के जरिए 8 लाख रुपये प्रति महीने के वेतन पर काम पर रखा था। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं स्थानीय वकील दीपक तिवारी ने आरोप लगाया कि नरेन्द्र यादव नामक व्यक्ति ब्रिटेन के चिकित्सक डॉ. एन. जॉन केम की पहचान का इस्तेमाल कर के दमोह के मिशन अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में काम कर रहा था।

मध्य प्रदेश में फर्जी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज

दमोह पुलिस ने कैम के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल एक्ट की कई धाराओं के तहत मामला किया। इन धाराओं में जालसाजी, अनधिकृत चिकित्सा पद्धति और मरीजों की मौत में संदिग्ध भागीदारी का आरोप शामिल है।

मध्य प्रदेश में फर्जी डॉक्टर के दस्तावेजों में कमी

फर्जी डॉक्टर की जाँच के लिए तीन सदस्यीय टीम बैठाई गई थी। इस बैठक में सीएमएचओ जैन जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ विशाल शुक्ला और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विक्रांत सिंह चौहान शामिल हुए। इस जाँच में सामने आया कि उनके प्रमाण-पत्रों की जांच से पता चला कि आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल से उनके प्रमाण-पत्र पर पंजीकरण संख्या गलत थी। उनका नाम और पंजीकरण संख्या ऑनलाइन डेटाबेस में नहीं मिली, जिससे संदेह हुआ।

मध्य प्रदेश में फर्जी डॉक्टर को प्रयागराज से किया गिरफ्तार

फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम को दमोह पुलिस ने प्रयागराज से गिरफ्तार किया। इसकी जानकारी अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने दी। उन्होंने कहा, “एफआईआर दर्ज होने के बाद हमारी साइबर टीम सक्रिय हो गई क्योंकि नरेंद्र यादव या नरेंद्र जॉन कैम के नाम से मशहूर इस डॉक्टर को एक जगह से दूसरी जगह भागने की आदत थी। हमें साइबर टीम से इनपुट मिला और दमोह पुलिस ने उसे प्रयागराज के द्रोण ओमेक्स टाउनशिप से गिरफ्तार कर लिया और अब उसे दमोह लाया जा रहा है।”

मध्य प्रदेश में फर्जी डॉक्टर को लेकर अस्पताल की और से बयान

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मिशन अस्पताल की प्रभारी पुष्पा खरे ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को बताया कि डॉक्टर को एक एजेंसी के माध्यम से नियुक्त किया गया था।

उन्होंने कहा, “हमारे साथ भी धोखाधड़ी की गई। हम जांच में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं। डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम उत्तराखंड के रहने वाले हैं और उनकी नियुक्ति सरकार द्वारा अधिकृत – इंटीग्रेटेड वर्कफोर्स इंक्वायरी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (आईडब्ल्यूयूएस) एजेंसी के माध्यम से हुई थी। उन्होंने 1 जनवरी को कार्यभार संभाला और फरवरी में बिना किसी को बताए चले गए।”

मध्य प्रदेश में फर्जी डॉक्टर का मामला छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत से जुड़ा

इस मामले को छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत से जोड़ा जा रहा है। जानकारी के अनुसार साल 2006 में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में सर्जरी के दौरान मौत हो गई थी। यह आरोप छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के बेटे प्रदीप शुक्ला ने लगाया। पीटीआई से मिली जानकारी में प्रदीप शुक्ला ने कहा, “यादव ने मेरे पिता की हार्ट सर्जरी का सुझाव दिया और उसे किया और फिर 20 अगस्त, 2006 को उन्हें मृत घोषित किए जाने से पहले उन्हें लगभग 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया।”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपोलो बिलासपुर के एक अधिकारी देवेश गोपाल ने कहा, “यह बहुत पुराना मामला है, करीब 18 से 19 साल पुराना। हम संबंधित दस्तावेजों की जांच के बाद ही विस्तृत जानकारी दे पाएंगे। उस समय क्या कदम उठाए गए थे, यह कागजी कार्रवाई की समीक्षा के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।”

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *