“शमशान भूमि पर जबरन घर बनाया जा रहा है। जब हम इसका विरोध करते हैं तो हमें जान से मारने की धमकियां दी जाती हैं। यदि प्रशासन ने हमारी समस्या का समाधान नहीं किया तो हम चक्का जाम करेंगे, धरना प्रदर्शन करेंगे और अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे।”
लेखन – कुमकुम, रिपोर्ट – अलीमा
मध्य प्रदेश: छतरपुर जिले के उर्द मऊ गांव में शमशान भूमि पर कब्जे का मामला तूल पकड़ रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग शमशान भूमि पर अवैध कब्जा कर रहे हैं जिससे उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस विवाद में एक समुदाय और एक परिवार जमीन के मालिकाने को लेकर आमने-सामने हैं। दोनों पक्षों के पास इस जमीन के मालिक होने का कोई मजबूत सबूत नहीं है।
ग्रामीणों ने बताया
मनोज प्रजापति ने बताया- “यह शमशान भूमि हमारी बहुत पुरानी है। हमारे पूर्वजों के अंतिम संस्कार भी यहीं होते थे लेकिन अब मनोज दीक्षित द्वारा इस भूमि पर कब्जा कर मकान बनाया जा रहा है। यदि कोई मृत्यु होती है और हम वहां अंतिम संस्कार करने जाते हैं तो वे लोग झगड़ा करते हैं और हमें धमकाते हैं। हमने प्रशासन से कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अगर हमारी शमशान भूमि हमें नहीं मिली तो हम आंदोलन करेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
कल्लू प्रजापति ने घटना का विवरण देते हुए कहा- “हम अपने चाचा के अंतिम संस्कार के लिए शमशान पहुंचे तो मनोज दीक्षित ने हमें अंतिम संस्कार नहीं करने दिया और लाठी-डंडों से मारकर वहां से भगा दिया। मजबूर होकर चाचा का अंतिम संस्कार अपने ही खेत में करना पड़ा। हमने तहसीलदार और एसडीएम से शिकायत की लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। अगर यह जमीन हमारी पुश्तैनी शमशान भूमि है तो हमें वहां अंतिम संस्कार करने से क्यों रोका जा रहा है।”
अच्छे लाल प्रजापति ने भी इस संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा- “शमशान भूमि पर जबरन घर बनाया जा रहा है। जब हम इसका विरोध करते हैं तो हमें जान से मारने की धमकियां दी जाती हैं। यदि प्रशासन ने हमारी समस्या का समाधान नहीं किया तो हम चक्का जाम करेंगे, धरना प्रदर्शन करेंगे और अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे।”
मनोज दीक्षित (जिन पर कब्जे का आरोप है) का कहना है कि यह भूमि उनके पूर्वजों की है। उनके बाप-दादाओं ने इस भूमि को प्रजापति समाज को दे दिया होगा जिससे वे यहां अंतिम संस्कार करने लगे थे इसलिए वह लोग यहां घर बना रहे हैं।
प्रजापति समाज की मांग
प्रजापति समाज की मांग है कि जब वे 50 वर्षों से इस भूमि का उपयोग शमशान घाट के रूप में करते आ रहे हैं और उनके पूर्वज भी इसी भूमि पर अंतिम संस्कार करते थे तो प्रशासन को इसे शमशान भूमि के रूप में मान्यता देनी चाहिए। ग्रामीणों का सवाल है कि जब इस भूमि का कोई दस्तावेजी प्रमाण किसी के पास नहीं है तो इस पर विवाद क्यों हो रहा है? अब यह प्रशासन पर निर्भर करता है कि वह इस मामले में क्या निर्णय लेता है और किस पक्ष को न्याय दिलाता है।
पटवारी अश्विनी कुमार मिश्रा ने कहा कि दोनों पक्षों की शिकायतें उनके पास आई हैं। मामले की जांच की जा रही है और यह देखा जाएगा कि किसके पास इस जमीन पर मालिकाना हक है। जांच के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
छतरपुर जिले की एसडीएम अखिल राठौर ने बताया कि इस मामले में कई आवेदन आ चुके हैं। हर मंगलवार को ग्रामीण शिकायत लेकर आते हैं। हमारी टीम द्वारा जल्द ही इस भूमि की जांच कराई जाएगी। प्रजापति समाज का कहना है कि यह भूमि उनके पूर्वजों द्वारा उपयोग की जाती रही है लेकिन प्रशासन पहले जांच करेगा और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
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