झाबुआ जिले में पेटलावद तहसील के हजारों टमाटर उत्पादकों ने पुलवामा आतंकवादी हमले के विरोध में पाकिस्तान को निर्यात रोकने का फैसला किया है।
पेटलावद टमाटर अपने आकार और स्पर्श के कारण अक्सर लोगों को लुभाते हैं। जिस कारण इनका मांग भी ज्यादा मानी गयी है।
स्थानीय संग्रह एजेंटों और आपूर्तिकर्ताओं का कहना है कि यहां से निर्यात किया गया टमाटर पाकिस्तान में 1200 से लेकर 1500 रुपये प्रति कैरेट के लिए मिलता है, जबकि भारत में यह 500 रुपये से लेकर 600 रुपये तक बिकता है।
किसानों का कहना है कि भले ही उन्हें इसके ज़रिये भारी नुक्सान हो, लेकिन वो ऐसे देश में टमाटर नहीं बेचना चाहेंगे जिसके ज़रिये भारत में आतंकवाद बड़े।
क्षेत्र में मौजूद टमाटर उत्पादकों ने टमाटरों की रोक को सुनिश्चित करने के लिए बैठकों का सिलसिला जारी रखा है।
पेटलावद तहसील में लगभग 70% उपज होती है और यहाँ उगाए जाने वाले टमाटरों में से प्रत्येक में 150 ग्राम होते हैं।
किसानों और आपूर्ति एजेंटों के अनुसार, एक समय था जब पेटलावद टमाटर के 50 से अधिक ट्रकों की आपूर्ति करता था, जिनमें से प्रत्येक लगभग 500 क्रेट पाकिस्तान ले जाया करते थे। लेकिन 2016 में उरी हमले के बाद आयतन में तेजी से गिरावट शुरू हुई। और अब पुलवामा हमले के बाद ये शून्य हो जाएगी।
नानालाल पाटीदार नामक एक किसान का कहना है कि “हम पाकिस्तान पर निर्भर नहीं हैं। सरकार को पाकिस्तान के साथ सभी संबंधों को खत्म कर उन्हें एक सबक सिखाना चाहिए”। किसानों की मांग है कि केंद्र रावी और सिंध नदियों के पानी को पाकिस्तान में बहने से भी रोक दें।