महिला किसान बैनी बाई अहिरवार भारी स्वर में कहती हैं, अगर प्रशासन को हमारी बात नहीं सुनाई देती तो हमारा बिल्कुल से कनेक्शन काट दें जिससे हमारा बिल ही नहीं आए। हम लोग दिल्ली जाकर मजदूरी कर अपने बच्चों का पेट पाल लेंगे, लेकिन इस तरह से अपनी फसल को खराब होते हुए आंखो से नहीं देख सकते।
रिपोर्ट – अलीमा, लेखन – सुनीता, संपादन – संध्या
मध्य प्रदेश की अधिकतर आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। इस राज्य में प्रमुख रूप से गेहूं, चना, दाल, मक्का और धान की खेती की जाती है। छतरपुर जिले में गेहूं और चना प्रमुख फसलें हैं, और खेती पर लाखों किसानों की आजीविका निर्भर है। ऐसे में यदि सिंचाई की समस्या नहीं सुलझाई गई, तो यह किसानों के जीवन पर भारी असर डाल सकती है।
मध्य प्रदेश के जिला छतरपुर, तहसील बिजावर, गांव टपरियन के किसानों का हाल इस समय बहुत खराब है। इस गांव के लगभग डेढ़ सौ से दो सौ किसान अपनी ज़मीन पर खेती करते हैं और इससे ही अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, इस गांव में पिछले तीन महीनों से ट्रांसफार्मर खराब पड़ा हुआ है। इसकी वजह से किसानों को खेती की सिंचाई के लिए बिजली की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। परिणामस्वरूप, उनकी गेहूं और चने की फसलें सूखने की कगार पर हैं।
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किसानों की सूखती फसलें और प्रशासन से मदद की उम्मीद
टपरियन गांव के किसान कैलाश सिंह राजपूत बताते हैं कि उन्होंने इस बार लगभग 10 एकड़ ज़मीन पर गेहूं और चना बोया हुआ है। लेकिन पिछले तीन महीने से ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण समय पर पानी नहीं मिल पा रहा है, इसकी वजह से उनकी आधी से ज़्यादा फ़सल सूख चुकी है।
आगे कहा, “हमारे पास अब समय नहीं है। अगर जल्दी ही सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला, तो जो थोड़ी-बहुत प्रतिशत फसल बची है, वह भी पूरी तरह से सूख जाएगी।”
वह कहते हैं, “हमने निजी तौर पर एक पानी का टैंकर मंगवाया था और खेतों में पानी दिया था, लेकिन अब हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम फिर से पानी खरीद सकें। हमने 18 फरवरी 2025 को कलेक्टर से अपनी समस्या बताई थी, और फिर 25 फरवरी 2025 को डीएम कार्यालय में भी एप्लिकेशन देकर समस्या का समाधान मांगा था। पर अभी तक हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
अन्य किसान हलकू अहिरवार का कहना है कि इस समय उनके खेतों में गेहूं और चने में बालियां निकलने लगती थी। लेकिन पिछले तीन महीने से फसल में ठीक समय पर पानी नहीं मिला। इससे फसल में बालिया निकलना तो दूर फसल ही नहीं बढ़ी। फसल पूरी सूख रही है।
हम प्रशासन से यही चाहते हैं कि हमारे यहां का ट्रांसफार्मर सुधरवा दिया जाए, जिससे बची हुई फसल को बचाया जा सके और हम अपने बच्चों का भरण-पोषण ठीक तरीके से कर सकें।
अगर हमारी फसल खराब हो गई तो हमारी साल भर की मेहनत पूरी खराब हो जाएगी और हम किसान भूखे मर जाएंगे।
प्रशासन मदद करे या…..
महिला किसान बैनी बाई अहिरवार भारी स्वर में कहती हैं, अगर प्रशासन को हमारी बात नहीं सुनाई देती तो हमारा बिल्कुल से कनेक्शन काट दें जिससे हमारा बिल ही नहीं आए। हम लोग दिल्ली जाकर मजदूरी कर अपने बच्चों का पेट पाल लेंगे, लेकिन इस तरह से अपनी फसल को खराब होते हुए आंखो से नहीं देख सकते।
किसानों की समस्या पर बिजली विभाग व एसडीएम की जवाबदेही
इस मामले को लेकर खबर लहरिया ने एसडीएम अखिल राठौर से बात की। उन्होंने कहा, किसानों की शिकायत दो से तीन बार आ चुकी है। हमने बिजली विभाग के अधिकारी पीके मिश्रा को सूचना दी थी, लेकिन अब देखते हैं कि उन्होंने इस पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। हालांकि अगर इतने दिनों से ट्रांसफार्मर खराब है और किसानों के खेत में पानी नहीं मिल रहा है तो यह बहुत बड़ा नुकसान है। किसानों की फसल को बचाने के लिए जल्द से जल्द समाधान किया जाएग।
बिजली विभाग के पीके मिश्रा कहते हैं, “पहले एक ट्रांसफार्मर खराब हो गया था, जिसे बदल दिया गया था। लेकिन किसान नए ट्रांसफार्मर की मांग कर रहे है, जो अभी संभव नहीं है, हम पुराने ट्रांसफार्मर को ठीक कर देंगे, जिससे किसानों का काम चल सके।”
खेती में सिंचाई की समस्या, ख़ासकर तब जब वो ट्रांसफार्मर की खराबी से जुड़ी हो, वह किसानों की मेहनत और जीवन को मुश्किल बना देती है। इन मामलों पर बिना देरी करे कार्यवाही करने की मांग रहती है क्योंकि यह लोगों के जीवन और उनकी रोज़ की जीविका को प्रभावित करने का काम करता है।
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