दीवार न होने के कारण कुएं में कूड़ा, धूल गिर जाती और जानवरों के गिरने की समस्या बनी रहती है। कभी-कभी तो कुएं में गिरकर जानवर मर जाते हैं जिससे पानी दूषित हो जाता है।
रिपोर्ट – अलीमा, लेखन – सुचित्रा
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के सारणी गांव में एक पुराना कुआं है, जिसका पानी मीठा और शुद्ध माना जाता है। सारणी गांव में काम से कम डेढ़ सौ आबादी है। इस गांव में दलित और आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। यह कुआं गांव वालों के लिए पीने, नहाने और अन्य घरेलू कामों के लिए इस्तेमाल होता है। हालांकि, इस कुएं में दीवार नहीं है जिससे आए दिन हादसे होते रहते हैं। कभी बकरियां गिर जाती हैं, कभी भैंसें और कभी इंसान भी इस गहरे कुएं में गिरकर चोटिल हो जाते हैं या मौत का शिकार हो जाते हैं। इस कुएं की गहराई लगभग 40 फुट की है।
कई साल पुराना कुआं
राहुल अहिरवार का कहना है कि “यह कुआं उनके पूर्वजों का है जिसका पानी सदियों से पीते आ रहे हैं। इस कुएं का पानी अच्छा है और जगहों से कहीं बेहतर है। गांव के बाहर एक हेड पंप है लेकिन वहां का पानी गंदा और खारा है जिसे कोई भी नहीं पीता।
कुएं के चारों तरफ दिवार न होने से हादसा होने का डर
कुएं में भले पानी अच्छा है लेकिन इस कुएं से पानी निकालना खतरे से खाली नहीं है। इस कुएं के चारों ओर बॉउंड्री नहीं की गई है। कई साल से ऐसे ही खुला पड़ा है। किसी को पता नहीं चलता कि यहां एक कुआं भी है। दीवार न होने के कारण कुएं में कूड़ा, धूल गिर जाती और जानवरों के गिरने की समस्या बनी रहती है। कभी-कभी तो कुएं में गिरकर जानवर मर जाते हैं जिससे पानी दूषित हो जाता है।
ललिता आदिवासी महिला ने बताया कि एक बार कुएं में एक कुत्ता मर गया था जिसके कारण पानी गंदा हो गया। इस घटना के बाद गांव वालों ने मिलकर कुत्ते को बाहर निकाला और फिर पानी भरने का काम जारी किया।
ग्रामीणों की मांग
कूराबाई अहिरवार ने कहा कि कुएं में दीवार या जाल लगाया जाए जिससे जानवरों का गिरना रुक सके जिससे पानी सुरक्षित और स्वच्छ रहे। वे यह भी चाहते हैं कि कुएं में जल बचाने के लिए कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में कोई स्वास्थ्य संबंधित समस्या न हो।
सरपंच ने कहा बजट नहीं
गांव के सरपंच कमलेश साहू ने बताया कि पंचायत स्तर पर कई बार प्रस्ताव दिए गए हैं कि कुएं में दीवार बनवाने और जल बचाने के उपाय किए जाएं लेकिन बजट की कमी के कारण यह काम अभी तक नहीं हो पाया है। इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए ताकि गांव वालों को स्वच्छ और सुरक्षित पानी मिल सके।
विभाग का जवाब
इस मामले में सीईओ माधवी शर्मा का कहना है कि प्रस्ताव तो आए हैं लेकिन बजट की कमी के कारण यह काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जैसे ही बजट मिलेगा इस कार्य को शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि, वे यह नहीं बता सकतीं कि यह कब तक होगा लेकिन प्रशासन इस पर जल्द कार्यवाही करने का प्रयास करेगा।
सारणी गांव के लोग इस पुराने कुएं को फिर से एक नया जीवन देना चाहते हैं और एक नए रूप में देखने का इंतजार कर रहे हैं। गांव वालों की मुख्य चिंता यह है कि दीवार के अभाव में यह कुआं जानवरों के गिरने और पानी के दूषित होने का कारण बनता है। यदि प्रशासन इस समस्या का समाधान समय रहते नहीं करता है तो गांव वासियों के लिए यह पानी खतरा बन सकता है।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’
If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke ‘