खबर लहरिया Blog Madhav National Park: मध्य प्रदेश का माधव राष्ट्रीय उद्यान बना भारत का 58वां ‘टाइगर रिजर्व’

Madhav National Park: मध्य प्रदेश का माधव राष्ट्रीय उद्यान बना भारत का 58वां ‘टाइगर रिजर्व’

मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को आधिकारिक तौर पर 8 मार्च 2025 को भारत का 58वां ‘टाइगर रिजर्व’ घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही यह पार्क मध्य प्रदेश का 9 वां ‘टाइगर रिजर्व’ बन गया यानी लुप्त होते हुए बाघों को संरक्षित करने वाली जगह घोषित की गई। यह घोषणा केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा दी गई थी।

मध्य प्रदेश का माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की तस्वीर (फोटो साभार: X सोशल मीडिया भूपेंद्र यादव)

लेखन – सुचित्रा 

माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में चंबल क्षेत्र के शिवपुरी जिले में स्थित है। वर्तमान में यहाँ पांच बाघ हैं, जिनमें हाल ही में जन्मे दो शावक (बाघ के बच्चे) भी शामिल हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यहां जल्द ही दो और बाघों को छोड़ा जा सकता है। सोशल मीडिया पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने पोस्ट में लिखा कि “भारत पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण में लगातार बड़ी प्रगति कर रहा है। यह घोषणा करते हुए मुझे खुशी हो रही है कि देश ने अपने टाइगर रिजर्व की सूची में 58वां टाइगर रिजर्व जोड़ लिया है, जिसमें नवीनतम नाम मध्य प्रदेश के माधव टाइगर रिजर्व का है। यह मध्य प्रदेश का 9वां टाइगर रिजर्व है। मैं सभी वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षणवादियों को बधाई देता हूं। यह विकास हमारे वन अधिकारियों के अथक प्रयासों का प्रमाण है जो निस्वार्थ भाव से इस उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं।”

माधव राष्ट्रीय उद्यान की विशेषताएँ

माधव राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है। इसमें जंगल, घास के मैदान और जल निकायों का मिलाजुला रूप है। इसके साथ ही यहां बाघों के लिए अच्छा वातावरण है जिसमें तेंदुए, चिंकारा, नीलगाय और कई प्रकार के हिरण और पक्षी प्रजातियां भी शामिल हैं।

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बाघों की आबादी बढ़ाने के लिए प्रयास

जानकारी के अनुसार माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघों को फिर से भारत में लाने के लिए 2023 में एक पुन: परिचय कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। पन्ना और नौरादेही रिजर्व में भी इसी तरह की परियोजनाएँ चलाई गई हैं।

माधव टाइगर रिजर्व का प्रयास यही है कि बाघों की घटती आबादी को बढ़ाया जाया। हाल ही में राज्य मंत्री ने बाघों की मौत का आंकड़ा साझा किया था। इन आंकड़ों के अनुसार, इन मौतों में से 75 प्रतिशत से अधिक घटनाएं पांच राज्यों—महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु और केरल में हुईं हैं। महाराष्ट्र 46 बाघों की मौत के साथ सबसे ऊपर है, जबकि मध्य प्रदेश 43 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है। उत्तराखंड 21 बाघों की मौतों के साथ तीसरे स्थान पर था, जो मध्य प्रदेश की कुल संख्या का लगभग आधा था।

 

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