खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए MAASSAB: उपेक्षित प्राथमिक विद्यालय की सच्ची तस्वीर है मास्साब | आओ थोड़ा फिल्मी हो जाएं

MAASSAB: उपेक्षित प्राथमिक विद्यालय की सच्ची तस्वीर है मास्साब | आओ थोड़ा फिल्मी हो जाएं

दोस्तों बुंदेलखंड की ख़बरें तो हम आपको रोज दिखा रहें हैं लेकिन आज हम आपके जिले बाँदा में बनी फिल्म की बात करेंगे जो देश-विदेश के कई फ़िल्म फेस्टिवल्स में काफी सारे अवॉर्ड्स अपने नाम करने के बाद 29 जनवरी 2021 को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। जी हाँ आज हम बात करेंगे फिल्म मास्साब की तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते हैं।

वैसे आपको बता दूँ की जब इस फिल्म की शूटिंग हो रही थी तब हमने इस फिल्म के लीड हीरो शिवा सूर्यवंशी से एक मुलाकात की थी.आपको बतादें की शिवा खुद बाँदा जिले के रहने वाले हैं. उफ़ मैं भी न फिल्म के बारे में तो भूल ही गई थी. तो वापस हम चलते हैं फिल्म की कहानी पर तो कहानी बुंदेलखंड के बाँदा जिले के खुरहण्ड गांव की है|

गांव में एक प्राइमरी सरकारी स्कूल है. जिसका नाम सुनते ही आपके दिमाग में भी टिपिकल सरकारी स्कूल आते होंगे ये स्कूल भी बिलकुल वैसा ही है. जहाँ महिला टीचर को परवाह नहीं कि बच्चे दो एकम दो का क्या जवाब दे रहे हैं. चिंता है तो ये कि स्वेटर ठीक से बुनी जाए बस. पुरुष टीचर्स भी कुछ ज़्यादा अलग नहीं है . क्लास की अटेंडेंस जैसी बेसिक चीज़ों से भला क्या मतलब! घर से बस एक चीज़ सोचकर निकलते हैं|

कि कैंडी क्रश में नया रिकार्ड बनाना है. बच्चे भी ऐसे कि स्कूल की एक ही घंटी से वास्ता रखते हैं. मिड डे मील वाली घंटी से. वो बजी नहीं और सारे बच्चे स्कूल में प्रकट. इसी बीच इस स्कुल में पोस्टिंग होती है मास्साब आशीष यानी शिवा सूर्यवंशी की जिन्हे बच्चों को पढ़ाने का काफी शौक है। अपने इसी शौक के चलते उन्होंने अपनी आईएएस की नौकरी भी छोड़ दी है।

एक मिनट मास्साब आशीष का सर नेम नहीं है बल्कि गाँव में मास्टर साहब को लोग शॉर्ट फॉम में यही बुलाते हैं. आशीष के किरदार को अगर एक लाइन में वर्णन करना है तो उसे एक आदर्शवादी जुनूनी कह सकते हैं. आशीष जिस गाँव में गया है वहां उनका सामना दकियानूसी रिवाज़ों व अंधविश्वासों को मानने वालों, उपेक्षा और करप्शन का शिकार‌ लोगों से होता है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने में आशीष की मदद उषा देवी यानी शीतल सिंह करती है जो कि गांव की प्रधान है।

कुछ ही दिनों में आशीष और उषा मिलकर प्राथमिक स्कूल के हालात ही बदल देते हैं। वहीं दूसरी तरफ आशीष कुमार के सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयासों से नाराज़ लोग उसके ख़िलाफ़ एक बड़ा षडयंत्र रचते हैं। अब आशीष‌ कुमार इन चुनौतियों का सामना कैसे करेगा। इन सभी सवालों के जवाब फिल्म देखने के बाद ही आपको मिलेंगे।

फिल्म पूरी तरह रियल लोकेशन बाँदा में शूट की गई है. जहां तक अभिनय का सवाल है, तो शिक्षक आशीश कुमार के किरदार में शिवा सूर्यवंशी ने कमाल का और काफी सधा हुआ अभिनय किया है. शिक्षा पढ़ाई के प्रति जुनून व विनम्रता के अद्भुत संगम को शिवा सूर्यवंशी ने अपने अभिनय से बाखूबी उकेरा है. उषा देवी के किरदार में शीतल सिंह ने ठीक ठाक अभिनय किया है. सभी बच्चे अपने अभिनय से प्रभाव छोड़ते हैं. फिल्म मास्साब अब तक कई फिल्म समारोहों की शान बन चुकी है।

फिल्म में जिस तरह प्राथमिक स्कूलों की दयनीय स्थिति को दर्शाया गया है, वैसी सच्चाई आज तक शायद ही किसी फिल्म में दिखाई गई होगी। फिल्म में शिक्षा से जुड़े अछूते विषयों को भी दिखाया गया है जो कि तारीफ के काबिल है। चुकीं ये फिल्म की कहानी और ऐक्टर दोनों ही हमारे खुद के इलाके की है तो मैं इसे कोई रेटिंग नहीं दूंगी। लेकिन आप जरूर ये फिल्म देखें और हमें बताएं की आपको ये फिल्म कैसी लगी. अगर हमारी ये वीडियो आपको पसंद आई हो तो लाइक और दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।

मिलते हैं अगले एपिसोड में तब तक के लिए नमस्कार।