लीची के फायदे किसी से छुपे नहीं हैं। खासकर गर्मियों में लीची का खाना काफी फायदेमंद होता है और ये फल इसी सीजन में पकता है जिससे पेंड़ की सुंदरता भी बढ़ती है। जब पेड़ की हरी पत्तियों के बीच लाल-पीले लीची के फल के गुच्छे लटके होते हैं। ये फल न सिर्फ शरीर में हाइड्रेशन को बनाए रखता है बल्कि गर्मी में और भी कई फायदे भी देता है।
रिपोर्ट- संगीता, लेखन- गीता
लीची के बगीचे की लगती है बोली
अयोध्या ज़िले के सर्किट हाउस में एक सरकारी लीची बाग है। हर साल इस बगीचे की नीलामी होती है। सरकार इसका एक रेट तय करके बोली लगाती है। जिसे वो रेट ठीक लगा और मुनाफा दिखा उस रेट का पैसा देकर आस-पास के लोग बग़ीचा ले लेते हैं। ऐसे ही पिछले दो साल से सुदीप खटीक ने ₹75,000 देकर इस बग़ीचे को लिया है और उसकी देखरेख कर रहा है।
तीन महीने होती है कड़ी मेहनत
संदीप खटीक बताते हैं कि लीची के बाग की रखवाली नवम्बर महीने से ही शुरू हो जाती है। एक सीज़न का खर्चा लगभग एक लाख रुपये तक पहुंच जाता है क्योंकि नवंबर से ही पेड़ों में फूल आने लगते हैं। सिंचाई, निराई-गुड़ाई और फिर बंदरों और चोरो से बचाने के लिए दिन-रात निगरानी जैसे कई काम करने पड़ते हैं।
पेड़ में रंग – बिरंगी लीची
सुदीप खटीक कहते हैं कि लीची का सीज़न मई से लेकर जून-जुलाई तक लगभग तीन महीने तक लगातार काम चलता रहता है। सुबह और शाम को लीची की तुड़ाई की जाती है। सुबह 5 बजे से लेकर 7 बजे तक लीची कि तुड़ाई होती है ताकि समय से मंडी भेजा जा सके। इसके बाद शाम को 4 से 6 बजे तक तुड़ाई करते हैं क्योंकि उस समय धूप कम होती है और फल सही सलामत मंडी तक पहुंचाया जा सके।
कई पोषक तत्वों से भरपूर है लीची
ग्राहक संतोष बताते हैं कि लीची एक बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा फल है। इसके पानी से भरे स्वाद के कारण हम इसे बहुत पसंद करते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि हम में से बहुत से लोग खुद को तरोताजा रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लीची हाइड्रेशन को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। मतलब है मानव शरीर में कम हुए पानी की भरपाई करता है। लीची फाइबर से भरपूर होती है जो कब्ज को रोकने में मदद करती है। विटामिन सी से भी भरपूर होती है जिससे मध्यम मात्रा में खाने पर विटामिन की जरूरत को पूरा करती है। विटामिन सी एक शक्तिशाली है जो कई पुरानी बीमारियों को रोकता है और हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
बहुत कम हैं लीची के बगीचे
संतोष कहते हैं कि पहले गांव में लीची के बग़ीचे बहुत मिलते थे। लोग अपने घर के खाने के साथ-साथ दूसरों को भी लीची खाने को देते थे लेकिन अब यह चलन लगभग खत्म हो गया है। गांव में अब लीची के पेड़ बहुत कम दिखते हैं। अगर किसी के पास होता भी है तो वह सिर्फ अपने परिवार तक ही सीमित रहता है और जो अधिक निकला उसे बाजार में बेंचने के लिए ले जाते हैं।
गर्मी में लीची के भाव भी छू रहे आसमान
अब लीची केवल सरकारी बगीचों में ही मिलती है जिससे इसकी कीमत बाजार में काफी ज्यादा हो जाती है।
इस बार शुरुआती दौर में ताज़ा लीची का बाजार भाव ₹150 किलो तक पहुंच गया है।
लीची का खट्टा मीठा स्वाद
गौरव बताते हैं कि लीची खाने में स्वादिष्ट होती है। इसका खट्टा-मीठा स्वाद और मुलायम गूदा सोचते ही मुंह में पानी आ जाता है। इसे बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी आसानी से खा सकते हैं। यह पेट को ठंडक देती है। वह कहते हैं कि लीची जब कच्ची होती है,तो थोड़ा ज्यादा खट्टी लगती है लेकिन पकने के बादयह रस से भर जाती है और स्वाद भी बेहतरीन होता है।
लीची देखते ही आया मुंह में पानी
यही है रोजगार का जरिया
सुदीप खटीक की पत्नी अनीता देवी बताती हैं कि हमारे पूरे परिवार का साल भर का खर्चा इसी बग़ीचे से निकलता है। कभी अच्छी पैदावार होती है तो मुनाफा हो जाता है और कभी-कभार नुकसान भी झेलना पड़ता है। अगर समय से पहले बारिश हो जाए तो लीची खराब होने लगती है। हालांकि इस बार अब तक मौसम ठीक है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि अच्छा सीजन जाएगा। हमारे पास न खेती-बाड़ी है न ही कोई और रोज़गार। हमारे परिवार के लिए लीची का बगीचा ही एक सहारा है। तीन महीने दिन-रात मेहनत करके हम अपना और अपने बच्चों का पेट पालते हैं। जैसे जैसे पेड़ में इसका फल आता है वैसे-वैसे पेड़ की भी सुंदरता बढ़ती है और उनका मन भी फलों को सुंदर होता देख खुश होता है।
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