36 प्रकार की होती है चिकन की कढ़ाई जहां की लखनऊ में 95% महिलाओं आज भी कढ़ाई करती लखनऊ के सबसे बड़े राजा थे इसराजूद दीन बसये थे उनकी बीबी रूमी बेगम थी जिन्होंने शुरुआत की थी इसराज उद्दीन बादशाह ने पूछा आप क्या कर रहे हैं और क्या बना रहे हैं उन्होंने बताया रूमी बेगम ने की मैं कढ़ाई की हूं उन्होंने बोला क्यों पढ़ाई की हो तो बताया कि आप पान खाते हैं तो यह कुर्ते में मैंने पान की कढ़ाई की है
जो आप लोग खाते हैं वह मैंने लॉन्ग बनाया है और चना पत्ती भी बनाई है तभी से यह शुरुआत हो गया जो आज भी कायम है और लखनऊ में मैं महिलाएं और पुरुष बनाते हैं कढ़ाई का काम करते हैं हाथों से पहले कोई मशीनें नहीं चलती थी सिर्फ हाथों से ही कढ़ाई होती थी और आज भी कुर्तों में साड़ियों में हाथों से ही कढ़ाई होती है ऐसी ऐसी कढ़ाई होती है कि एक एक साड़ी में छह छह महीना लग जाता हैलखनऊ की कोमल सोनी मॉडलिंग में रौशन कर रहीं हैं अपना नाम
चिकन की कढ़ाई लखनऊ की फेमस पहचान है और ऐतिहासिक है लखनऊ की पहचान सिर्फ कढ़ाई के कपड़ों से है यह चिकन की कढ़ाई का कपड़ा देश-विदेश तक जाता हैमहिलाओं का कहना है की हम लोग अपने लिए ही बनाते हैं और आर्डर में भी बनाते हैंहम लोगों को यह कढ़ाई बहुत पसंद है जो कि यहां का एक अच्छा काम है जो सुई धागा का काम है और सुई धागा से ही कढ़ाई करते हैं यह तो लखनऊ का पुराना कंचल है सदियों से आ रहा है जब से लखनऊ के हजारों वर्ष से पढ़ाई हो रही है जो वहां के लोग बताते हैं और अब भी यह कढ़ाई बंद नहीं है इसी मैं फेमस है लखनऊ यह कहां का काम ज्यादातर पतले कपड़ा में होता है वह पतले कपड़े में कढ़ाई करना आसान होता है