उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार, 7 फरवरी को हिमस्खलन होने की वजह से राज्य को बहुत जान-माल की हानि झेलनी पड़ी है। जानकारी के अनुसार, प्राकृतिक हिमस्खलन से अभी तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। बर्फ टूट के गिरने से अलकनंदा और धौलीगंगा नदी का जल स्तर बढ़ गया है और राज्य में बाढ़ आ गयी है। इसके साथ ही कई लोगों ने अपनी जाने भी गवां दी हैं।
अचानक हुए हिमस्खलन से ऋषिगंगा और नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन को भी काफ़ी नुक्सान पहुंचा है। ग्लेशियर के फटने से सड़क, घर और लोगों का जीवन सब कुछ उसके साथ ही बह गया और कुछ भी नहीं बचा। लोगों के बचाव के लिए राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया टीमों को तैनात किया गया है। साथ ही भारत -तिब्बत सीमा पुलिस भी बचाव कार्य में लगी हुई है। लोगों को बाढ़ वाली जगह से हटाकर सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया जा रहा है।
चमोली प्रशासन ने आपदा में लापता हुए लोगों की सूची की जारी
चमोली प्रशासन ने आपदा में लापता हुए लोगों की सूची जारी की है। इसमें करीब 119 लोगों के नाम शामिल हैं। सूची देखने के लिए आप अमर उजाला द्वारा शेयर किये गए इस लिंक पर जाकर जानकारी ले सकते हैं।
https://spiderimg.amarujala.com/assets/applications/2021/02/08/2_6020fc8402cdc.pdf
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मुआवज़े की घोषणा
हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है। राज्य सरकार चार लाख और केंद्र सरकार परिवारों को दो लाख रुपये तक की सहयोग राशि देगी।
आपदा प्रभावितों के लिए तैयार की राशन की एक हजार किट
चमोली में आपदा प्राभावितों के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने राशन की एक हजार किट तैयार की है। जिसमें आटा, दाल, चीनी, चायपत्ती, नमक, मोमबत्ती, माचिस, तेल , मसाले, साबुन आदि चीज़ें शामिल है।
202 लोग लापता, 19 शव बरामद
डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि चमोली हादसे में अभी तक लगभग 202 लोगों के लापता होने की सूचना मिली है। वहीं 19 लोगों के शव अलग-अलग जगहों से बरामद किए गए है। राहत-बचाव का काम तेज़ी से ज़ारी है।
कल के हादसे में अभी तक लगभग 202 लोगों के लापता होने की सूचना है, वहीं 19 के शव अलग अलग स्थानों से बरामद किए गए है। शोक और दुःख की इस घड़ी में प्रशासन आपके साथ है, कृपया सहयोग बनाए रखें। राहत-बचाव कार्य त्वरित रूप से जारी है। @Ashokkumarips pic.twitter.com/jOVa65M175
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 8, 2021
बचाव के लिए कई टीमों को किया गया नियुक्त
गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत, जनपद प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत, विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट, विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने भी तपोवन एवं रैणी में आपदा प्रभावित क्षेत्र का ज़ायज़ा लिया है। गढ़वाल के सांसद और प्रभारी मंत्री ने आपदा में ग्रसित परिवारों की हर संभव मदद करने का भरोसा दिया है। प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि जिला प्रशासन, पुलिस, भारत -तिब्बत सीमा पुलिस, आर्मी, राष्ट्रिय आपदा अनुक्रिया बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन, सभी बचाव कार्य में लगे हुए है और फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
श्रीनगर में अलकनंदा नदी बह सकती है खतरे के निशान के ऊपर
श्रीनगर में अलकनंदा नदी इस समय 531.50 मीटर पर बह रही है। रविवार रात 9 बजे जल स्तर 532.50 मीटर था। चेतावनी स्तर 535 मीटर है। खतरे का निशान 536 मीटर पर है।
40 से 50 लोगों की सुरंग में फंसे रहने की आशंका
एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान ने बताया कि ढाई किमी. लंबी सुरंग में राहत बचाव कार्य जारी है। 27 लोगों को अभी तक सही सलामत निकाला गया है। वहीं 11 शव बरामद किए गए हैं। कुल मिलाकर 153 लोग लापता हैं। उन्होंने बताया कि 40 से 50 लोग अभी भी सुरंग में फंसे हुए हैं। उनके अनुसार यह आशंका जताई जा रही है कि जो लोग नहीं मिले हैं, वह शायद बाढ़ में बह गए हैं।
Rescue operation underway in 2.5 km long tunnel. Problem lies with debris which's gradually being cleared. 27 people alive,11 dead,153 missing. Out of 153, 40-50 are stuck in tunnel. There's a possibility of remaining people being washed away in Uttarakhand: NDRF DG SN Pradhan pic.twitter.com/3IFn3PVlyC
— ANI (@ANI) February 8, 2021
सकारात्मक परिणाम आने की संभावना – केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
आपदा ग्रस्त इलाके का निरीक्षण करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह बेहद कठिन परिस्थिति है, लेकिन आईटीबीपी ने पहली सुरंग से सफलतापूर्वक लोगों को निकाल लिया है। अब वह दूसरी सुरंग पर कार्य कर रहे हैं।
डीआरडीओ और एसएएआई के वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ के लिए रवाना
गृह मंत्रालय (एमएचए) का कहना है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) – स्नो एंड एवलांच स्टडी इस्टेब्लिशमेंट संस्था (एसएएसई) के वैज्ञानिकों की एक टीम कल रात यानी रविवार की रात को देहरादून के लिए रवाना हुई थी। जोशीमठ क्षेत्र से निगरानी के लिए वैज्ञानिकों की टीम रवाना किया गया है ताकि हिमस्खलन के होने की वजह का पता लगाया जा सके।
भारतीय वायु सेना ने शुरू किया बचाव कार्य
देहरादून से जोशीमठ में एमआई-17 और एएलएच हेलीकॉप्टरों के साथ हवाई बचाव और राहत मिशन फिर से शुरू हो गए हैं। यह जानकारी भारतीय वायु सेना ने दी।
संयुक्त राष्ट्र ज़रुरत के समय है योगदान देने को तैयार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने कहा, ‘महासचिव को उत्तराखंड में ग्लेशियर के फटने और उसके बाद आई बाढ़ से हुए जानमाल के नुकसान और दर्जनों लोगों के लापता होने का गहरा दुख है। वह पीड़ितों के परिवारों, लोगों और भारत सरकार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। संयुक्त राष्ट्र आवश्यकता होने पर बचाव और सहायता प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है।’
अभी भी उत्तराखंड के चमोली में बचाव अभियान जारी है। कुछ लोगों को बचाव टीम के द्वारा ढूंढ लिया गया है। वहीं कुछ लोग अभी भी लापता है। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि बचाव कार्य कब तक चलेगा। साल 2012 में आयी उत्तराखंड आपदा ने पहले भी राज्य और राज्य के लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी। जिसके कई सालों के बाद जाकर राज्य ने घाटे और क्षति से उभरना शुरू किया था। ऐसे में अचानक से आये हिमस्खलन ने ना सिर्फ राज्य की आर्थिक स्थिति को चोट पहुंचाई। उसके साथ ही लोगों से उनका घर-परिवार सब छीन लिया। सरकार द्वारा लोगों को राशि के रूप में मदद देने का ऐलान तो किया है। लेकिन वह राशि कब और कैसे लोगों तक पहुंचाई जाएगी। यह नहीं बताया गया। साथ ही बेघर हुए लोगों को शरणार्थी शिविर में रखा जाएगा। वहां लोगों के रहने के लिए किस तरह की व्यवस्था की जायेगी, यह भी एक ज़रूरी सवाल रहेगा।
द्वारा लिखित – संध्या