एक बड़े विवाद के बाद अब लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) बिल, 2019 को भी पारित कर दिया गया है। ससंद के बाहर और अन्दर काफी विरोध के बाद भी, इस बिल को मंगलवार को पारित करने की मंजूरी प्रदान कर दी गई है। नए कानून के साथ भारत सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद मुसलमानों से परे बाकी सभी जातियों को नागरिकता प्रदान करेगी।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बिल से जुड़े मतभेदों को लेकर असम असेंबली गण परिषद (एजीपी) द्वारा हुए इस समझौते से बाहर रखने के मुद्दे पर भी विरोध सहना पड़ रहा है। सहयोगी शिवसेना और जेडी(यू) ने इस मुद्दे पर एजीपी को समर्थन दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्वोत्तर राज्य में एक रैली के दौरान असम को भी इस नागरिकता में शामिल करने का वादा किया गया था, पर इस पर उनके इस फैसले के बाद असम के लोग खुश नहीं हैं।
ऐसे में असम के कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के नेतृत्व में 70 से अधिक संगठनों ने कहा है कि वे स्थानीय रूप से उत्पादित तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला, वन उत्पाद और चूना पत्थर को राज्य से बाहर नहीं जाने देंगे।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में बिल पेश किया और कहा कि नए कानून के ज़रिये इन तीन पड़ोसी देशों में से हिंदू, जैन, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी जैसे सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।
“भारत के अलावा वो आखिर जाएँगे कहाँ?”, राजनाथ सिंह द्वारा ऐसी टिप्पणी भी की गई है।
पूर्वोत्तर में इस फैसले को आत्मसात करने की मांग करते हुए, सिंह ने कहा कि “प्रस्तावित कानून केवल असम तक सीमित नहीं होगा। असम में विरोध कर रहे संगठनों ने इस बात को बनाए रखा है कि 1971 के बाद देश में प्रवेश करने वाले अपने धर्म के बावजूद सभी अप्रवासियों को निर्वासित किया जाएगा। उन उत्पीड़ित प्रवासियों का बोझ पूरे देश द्वारा साझा किया जाएगा। अकेले असम को पूरा बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। भारत सरकार असम के लोगों को हरसंभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
हालाँकि, मिजोरम और मेघालय सरकार भी इस फैसला से खुश नहीं हैं।
सिंह के अनुसार, हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी प्रवासियों को पहले भी कानूनी कार्रवाई के खिलाफ 2015 और 2016 में संरक्षण प्रदान किया गया है। उनके लिए दीर्घकालिक वीजा का प्रावधान भी किया गया। प्रस्तावित संशोधन इन उत्पीड़ित प्रवासियों को आगे नागरिकता प्रदान करेगा।
यह कानून गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों जैसे देश की पश्चिमी सीमाओं से होकर आए उत्पीड़ित प्रवासियों को भी नागरिकता प्रदान करेगा।
यह बिल देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा और नागरिकता संशोधन बिल के लाभार्थी देश के किसी भी राज्य में निवास कर सकेंगे।