जिला वाराणसी में सरकार हर साल स्वच्छ भारत के तहत लाखों रुपये ख़र्च करती है। लेकिन इसके बावजूद भी गांव आश्रम के चारों तरफ कूड़े-कचड़े का अंबार लगा हुआ है, जो कि बीमारी की वजह बनी हुई है। ब्लाक चिरईगांव कपिलधारा आश्रम के लोगों का कहना है कि जब मेला आता है तो उस समय बस दो बार गांव में झाड़ू लगता है या सफ़ाई होती है।
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इसके अलावा वह खुद ही साफ़-सफ़ाई करते है। लेकिन लोगों का कहना है कि वह लोग कितनी ही सफाई करेंगे। जब तेज़ हवा चलती है तो कूड़ा उड़कर दूर चला जाता है, जिससे कई लोगों को बीमारी भी हो जाती है। गांव का प्रधान समस्या को अधिकारी पर डाल देता है और अधिकारी प्रधान पर। लेकिन कोई भी समस्या का समाधान नहीं करता।
गांव के प्रधान मूलचंद का कहना है कि वह जानते हैं कि उनके गांव में सफ़ाई की कमी है, जिसकी वजह से पंचायत भवन भी साफ़ नहीं रहता। उनका कहना है कि उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों से भी गांव में सफ़ाई की समस्या को सुधारने को कहा। लेकिन वह भी उनकी बात नहीं सुनते हैं। जब अधिकारी द्वारा प्रधान की बात भी नहीं सुनी जाती तो आम जनता की समस्या को वह सुनकर, समस्या का निवारण कैसे करेंगे? यह कहना मुश्किल है। एक तरफ़ सरकार स्वच्छ भारत की बात करती है और वहीं एक गांव भी स्वच्छ भारत मिशन में साफ़ नहीं है। क्या इस तरह से भारत को स्वच्छ किया जाएगा?
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