अतर्रा क्षेत्र के ग्राम महुटा में भू माफियाओं ने किसानों की ज़मीन पर अवैध तौर पर कब्ज़ा कर लिया। किसानों ने जिलाधिकारी को भी समस्या से अवगत करवाया। इसके बाद पूरी तरह से समस्या का निवारण नहीं हुआ है।
बाँदा जिले के अतर्रा क्षेत्र के ग्राम महुटा के किसानों ने 4 दिनों तक लगातार तहसील मुख्यालय में धरना प्रदर्शन किया। किसानों का कहना है कि ग्राम महुटा में गोचर, चारागाह, पशु आश्रय स्थल, वृक्षारोपण की ज़मीन पर भू माफियाओं द्वारा अवैध तौर पर कब्ज़ा किया गया है। किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देते हुए ज़मीनो को मुक्त कराने की मांग की।
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पैरवी का काम, किसानों का – तहसीलदार
गांव के किसान दीपक मिश्रा ने बताया की चकबन्दी के समय लगभाग 40 साल पहले गांव में तकरीबन 60 से 65 बीघा ज़मीन का रकबा चारागाह के लिए छोड़ा गया था जिससे जानवरों के लिए सुविधा हो और उसमें वृक्षा रोपण भी हो सके। उन्होंने आगे कहा कि गांव के लगभग 8 परिवार उस चारागाह की
ग्राम सभा ज़मीन पर काफ़ी समय से कब्ज़ा किए हुए हैं। वह ज़मीन मुक्त कराने के लिए काफ़ी समय से लगे हैं।
बहस और प्रदर्शन के बाद उन्हें न्याय का भरोसा मिला। तहसीलदार आये तो सिर्फ ज़मीन खाली कराकर चले गए। आगे की कार्यवाही के लिए कहा कि इसका मुकदमा कोर्ट में होगा और पैरवी उन लोगों को ही करनी होगी।
यह है पूरा मामला
जिला बांदा ब्लॉक नरैनी के अतर्रा तहसील के अन्तर्गत आने वाले ग्राम महुटा में गोचर आदि लगभग 60 बीघे ज़मीन पर भू माफियाओं द्वारा अवैध कब्ज़ा किया गया है। जिसमें तमाम लोगों ने आवासीय घर भी बनवा लिए हैं जिसे लेकर गांव के लोगों ने भू माफियाओं से ज़मीन मुक्त कराने को लेकर शासन-प्रशासन को लिखित रूप से अवगत कराते हुए ज़मीन मुक्त कराने की मांग की थी।
ज़मीन को भू माफियाओं से मुक्त कराने के क्रम में बीते 5 दिनों से गांव के ही सत्य प्रकाश मिश्रा के नेतृत्व में गांव में आमरण अनशन भी ज़ारी किया गया। लेकिन कई दिनों बाद भी मांगे पूरी ना होने को लेकर उप जिलाधिकारी को पुनः ज्ञापन देते हुए ग्रामीणों ने आगाह किया था कि समस्या का समाधान अगर जल्दी न हुआ तो वह 4 दिसंबर को तहसील परिसर के सामने धरना प्रदर्शन कर चक्का जाम करेंगे।
इतना सब करने के बाद भी जब अधिकारियों ने सुध नहीं ली तो शनिवार, 4 दिसंबर को तहसील परिसर अतर्रा में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में उपस्थित जिला अधिकारी अनुराग पटेल को फिर से ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद उपजिलाधिकारी विजय प्रकाश तिवारी और क्षेत्राधिकारी आनंद कुमार पांडे को निर्देशित किया कि वह ग्राम सभा में जाकर समस्या से अवगत हों। दोषियों के विरुद्ध जांच करते हुए उनके ऊपर कार्यवाही की जाए और समस्या का समाधान हो। ग्रामीण सिर्फ दिशा-निर्देश से खुश नहीं थे। किसान तहसील परिसर में नारेबाज़ी करते हुए धरने पर बैठ गए।
जब संपूर्ण समाधान दिवस खत्म हुआ तो जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारी जिला मुख्यालय जाने को अपने गाड़ियों के पास गए। ग्रामीण और किसान पहले तो पुलिस अधीक्षक अभिनंदन की गाड़ी के सामने बैठ गए। इसके बाद मौके पर उपस्थित पुलिस बल ने पहले तो ग्रामीणों को समझाया-बुझाया, जब वह नहीं माने तो उन्हें खदेड़ दूर भगा दिया गया और पुलिस अधीक्षक बांदा की ओर रवाना हो गयें।
जब जिलाधिकारी अपनी गाड़ी में बैठने ही वाले थे तभी उनके वाहन के सामने प्रदर्शनकारी ग्रामीण बैठ गए और तत्काल समाधान की मांग करने लगे। कुछ समय तक तो जिलाधिकारी इस माहौल को देखते रहे फिर खुद कार से नीचे उतर आंदोलनकारियों को फटकार लगाते हुए उपस्थित पुलिस बल व अधिकारियों को कार्यवाही करने की बात कही। पुलिस ने आंदोलन कर रहे लोगों को खदेड़ कर भगाया तब कहीं जाकर जिला अधिकारी बांदा को रवाना हो सके।
मामले को लेकर उप जिलाधिकारी विजय प्रकाश तिवारी ने कहा कि जिलाधिकारी के निर्देश पर रविवार के दिन मौके पर जाकर मामले की जांच पड़ताल और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात की थी।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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