ललितपुर जिले के गाँव अंडेला में किसान पिछले 15 सालों से मूसली की खेती कर रहे हैं। सफेद मूसली 8-9 महीनें की फसल है जिसे मानसून में लगाकर जनवरी से मार्च में खोद लिया जाता है। अच्छी खेती के लिए यह आवश्यक हे कि खेतों की गर्मी में गहरी जुताई की जाए। इसकी खेती में जल निकासी वाली अच्छी जगह होनी चाहिए, क्यूंकि जलभराव की स्थिति में फसल में रोग लगने का खतरा बना रहता है।
सफ़ेद मूसली को मुख्य रूप से आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयों के उपयोग में किया जाता है, इसलिए अगर मूसली की पैदावार अच्छी हो जाती है तो किसानों को भी काफी लाभ होता है।
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सफ़ेद मूसली के बीजों में बहुत जल्दी रोग लग जाते हैं, इसलिए इसे अधिक देख-रेख की आवश्यकता होती है, और इसकी जड़ों को किसी भी नुकसान से बचाना होता है। खेत में बुवाई के लगभग 15 से 20 दिन उपरांत निराई-गुड़ाई कर देना चाहिए, और समय – समय पर खेत में खरपतवार दिखने पर उसे हाथ से निकालते रहना चाहिए। ललितपुर के किसानों ने भी यही शिकायत करी कि फसल में रोग लग जाने के कारण उनकी उपज अच्छी नहीं हो पा रही है। लेकिन अगर इस बारे में किसान कृषि केंद्र जाकर चर्चा करेंगे या फिर किसी विशेषज्ञ की सलाह लेंगे तो यकीनन मूसली की फसल वापस से बेहतर हो सकती है।
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