सरकार ने जब 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी, तब यह दावा किया था कि हर गाँव, हर घर में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन आज 7 साल होने को आ गए हैं और अभी भी हमारे देश में न जाने कितने ऐसे गाँव हैं जहाँ शौचालय के लिए लोग मीलों दूर चलकर जाते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले के गाँव जरूआपुरा में, जहाँ करीब 20 परिवार अभी भी ऐसे हैं जिनके घरों में शौचालय नहीं बना है।
शौचालय न होने कारण उठानी पड़ रही हैं परेशानियां-
जरूआपुरा के निवासी राम प्रसाद का कहना है कि उनके गाँव में लगभग 300 परिवार हैं जिनमें से 20 घरों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इनका कहना है कि इन लोगों को शौचालय न होने के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन लोगों ने कई बार प्रधान से इसकी शिकायत की, लेकिन उसपर कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने हमें बताया कि वो लोग ब्लॉक महरौनी से लेकर ललितपुर तक शौचालय बनवाने के लिए चक्कर काट चुके हैं, लेकिन उनको हर बार यह बोल के दिलासा दे दी जाती है कि जल्द से जल्द शौचालय बनवाए जायेंगे परन्तु अभी तक कुछ नहीं बना। इसी गाँव की रामदेवी ने हमें बताया कि उनकी बड़ी-बड़ी लडकियां हैं जिन्हें शौचालय के लिए बाहर जाने में परेशानी होती है। खुले में शौच करने में उन्हें भी बहुत शर्म आती है, लेकिन मजबूरी के कारण जाना पड़ता है।
शौचालय के लिए 2 किलोमीटर चलना पड़ता है पैदल-
गाँव की कुसुम का कहना है कि इस गाँव के ज़्यादातर लोग मज़दूरी करते हैं, जिन्हें शौचालय न होने के कारण सुबह जल्दी उठकर शौच के लिए 2 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इसके साथ ही वहां कई बार घंटों इंतज़ार भी करना पड़ता है। ऐसे में कई बार इन लोगों को काम पर जाने में देरी हो जाती है, जिसके कारण इनका रोज़ का वेतन घट जाता है। गाँव की ललिता का कहना है कि शौचालय न होने के कारण सबसे ज़्यादा महिलाएं परेशानी उठा रही हैं। उनको सुबह जल्दी उठ कर शौचलय के लिए निकलना पड़ता है ताकि उजाला होने से पहले वो लोग घर वापस आ जाएं। उनका मानना है कि वैसे तो सरकार वादे करती है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जायेंगे, लेकिन अब जब इतनी सारी महिलाओं को खुले में बैठ कर शौच करना पड़ रहा है, तो सरकार क्यों कोई कदम नहीं उठाती?
जब हमने ललितपुर ज़िले के ज़िला मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि महरौनी ब्लाक में 26 हज़ार शौचालय बनवाए गए थे, अगर उसके बावजूद भी कुछ लोग रह गए हैं जिनके घरों में शौचालय नहीं है तो जल्द से जल्द उनके गाँव में सर्वे कराया जाएगा और पंचायत चुनाव के बाद पूरी कोशिश की जाएगी कि सभी को शौचालय की सुविधा मिले। उनका यह भी कहना है कि उनके पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आयी है, अगर ऐसा होता तो अब तक कुछ कार्यवाही ज़रूर करवाई जाती।
इस पूरे मामले में ध्यान देने वाली बात यह है कि आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं जहाँ लोगों के पास या तो पानी की सुविधा नहीं होती, या फिर उनके पास शौचालय और आवास नहीं होता। जहाँ एक तरफ सरकार ने इन सभी सुविधाओं को लोगों तक उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं तैयार की, पर आखिर क्यों इन योजनाओं से फिर गरीबों को लाभ नहीं मिल पाया? आखिर कब तक लोग ऐसे ही दफ्तरों के चक्कर काटते रहेंगे और अपने हक़ के लिए गुहार लगाते रहेंगे?
इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुषमा द्वारा रिपोर्ट एवं फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।