यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर में हुई घटना को कहा दुर्भाग्यपूर्ण। कहा कि सरकार इस घटना के कारणों की तह तक जाएगी।
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में रविवार, 3 अक्टूबर को किसानों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की। जिसमें चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हुई है। आठ लोगों में अन्य मारे गए चार लोग बीजेपी कार्यकर्त्ता बताये गए। घटना के बाद इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा कि सरकार इस घटना के कारणों की तह तक जाएगी। जिन किसानों की मौत हुई उन्हें अभी तक घटनास्थल पर ही रखा गया है।
आरोप है कि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे ने किसानों पर कार चढ़ा दी। जिसके बाद जवाबी हिंसा में बीजेपी नेता के ड्राइवर समेत चार अन्य लोगों की भी मौत हो गयी। लखीमपुर के डीएम ने गाड़ी के नीचे दबने से 4 मौतों की पुष्टि की है, जबकि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र ने 4 कार्यकर्ताओं की हत्या किए जाने का दावा किया है। उन्होंने अपने बेटे अजय मिश्र के घटनास्थल पर मौजूद होने से इनकार भी किया। आरोप है कि उनकी गाड़ी के कुचलने से किसानों की मौत हुई है।
हिंसक घटना के बाद सियासत भी गर्मा गयी है। मौके पर भारी पुलिस बल और PAC की कंपनियां तैनात हैं। रविवार को किसानों की मौत के बाद माहौल बिगड़ा था। आज मौके पर कई नेता जाने वाले हैं, लेकिन सभी को वहां जाने से रोका जा रहा है।
घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बयान
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है। अदालत ने आगे कहा कि कानून तो अपना काम करेगा। अदालत ने नाराज़गी प्रकट करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी दावा तो करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
यूपी सरकार ने किया मुआवज़े का ऐलान
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया कि रविवार को लखीमपुर खीरी में मारे गए 4 किसानों के परिवारों को सरकार 45 लाख रुपए और एक सरकारी नौकरी देगी। घायलों को 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। किसानों की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे मामले की जांच। 8 दिन के अंदर दोषी की गिरफ्तारी होगी। सीआरपीसी की धारा 144 लागू होने के कारण राजनीतिक दलों के नेताओं को जिले का दौरा नहीं करने दिया गया है। हालांकि, किसान संघों के सदस्यों को यहां आने की अनुमति है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने घटना को लेकर दी सफाई
लखीमपुर हिंसा में बेटे का नाम आने पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ कुछ उपद्रवियों तत्वों ने गाड़ियों पर हमला किया था। हमले की वजह से गाड़ियां रुक गईं। उसके बाद उपद्रवियों ने गाड़ी में सवार कार्यकर्ताओं को बाहर खींचकर लाठी-डंडों और तलवारों से पीट-पीटकर उनकी हत्या की। फिर गाड़ियों को सड़क से नीचे धकेला गया और फिर जला दिया गया।
लखीमपुर खीरी आना चाहते हैं पंजाब के CM चन्नी
पंजाब सरकार के नागरिक उड्डयन निदेशक ने यूपी के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को पत्र लिखकर जानकारी दी कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी लखीमपुर खीरी का दौरा करना चाहते हैं। उन्होंने सीएम के हेलिकॉप्टर की लैंडिंग की अनुमति मांगी है।
Punjab Govt's Civil Aviation director writes to UP Additional Chief Secretary Awanish Awasthi, informing him that CM Charanjit Singh Channi wants to visit Lakhimpur Kheri; seeks permission for landing of the CM's chopper pic.twitter.com/r6V9kRkmPK
— ANI (@ANI) October 4, 2021
कई नेताओं को लिया गया हिरासत में
घटना के बाद देर रात जब प्रियंका गांधी लखीमपुर पहुंची और उन्हें रास्ते में ही रोक कर हिरासत में ले लिया गया। आप के सांसद संजय सिंह को भी सीतापुर में रोका गया और आगे नहीं जाने दिया गया।
"मैं उन किसानों से महत्वपूर्ण नहीं हूं, जिनको तुमने मारा है।"@priyankagandhi जी के ये भाव बता रहे हैं कि वो किस दर्द और पीड़ा के साथ किसानों से जुड़ी हुई है और रातभर सड़कों पर उतरी है।
न्याय तो अब होकर रहेगा जोगी जी…#PriyankaGandhiwithFarmers#लखीमपुर_किसान_नरसंहार pic.twitter.com/nc45BN9D9S
— Congress (@INCIndia) October 4, 2021
लखनऊ में पुलिस ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनके आवास के बाहर हिरासत में लिया, जहां उन्होंने लखीमपुर खीरी जाने से रोके जाने पर धरना दिया था। जब अखिलेश यादव को लखीमपुर खीरी जाने से रोका गया तो वह इसके विरोध में वो अपने घर के बाहर ही धरने पर बैठ गए थे। अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों पर अंग्रेजों से ज़्यादा बीजेपी ज़ुल्म कर रही है। बीजेपी सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। सरकार नहीं चाहती कि कोई राजनीतिक नेता वहां जाए। क्या छुपा रही है सरकार? यह सरकार किसानों पर जिस तरह का अत्याचार कर रही है, उस तरह के अत्याचार अंग्रेज भी नहीं करते। गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और डिप्टी सीएम (केशव प्रसाद मौर्य) को इस्तीफा दे देना चाहिए। मरने वाले किसानों के परिजनों को 2 करोड़ रुपए और सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए।
#WATCH | Lucknow: Police take Samajwadi Party president Akhilesh Yadav into custody outside his residence where he staged a sit-in protest after being stopped from going to Lakhimpur Kheri where 8 people died in violence yesterday pic.twitter.com/VYk12Qt87H
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 4, 2021
लखीमपुर हिंसा पर लखनऊ में जबरदस्त तनाव देखा जा रहा है। लखनऊ में शिवपाल यादव भी हिरासत में लिए गए। वहीं हापुड़ में जयंत चौधरी को रोकने की कोशिश की गई। बैरिकेड तोड़कर जयंत चौधरी वहां से निकल गए।
किसानों की हैं ये मांगें
लखीमपुर खीरी के डीएम एके चौरसिया ने कहा कि, ‘मुझे एक ज्ञापन (किसानों से) मिला है, जिसमें गृह राज्य मंत्री (एके मिश्रा) को बर्खास्त करने, उनकी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने, मृतक के परिवार को अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने और कल की घटना की न्यायिक जांच की मांग की गई है। हम किसानों की मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएंगे और आज फिर उनसे बातचीत करेंगे।’
हत्या के पीछे मंत्री के बेटे का हाथ : राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, ‘हत्या के पीछे मंत्री के बेटे का हाथ है। पुलिस को उसे गिरफ्तार करना होगा। वह पिछले 10 दिनों से किसानों को धमका रहा था। हम अपनी समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करेंगे। हम गिरफ्तारी की मांग करते हैं।’
किसानों की मौत पर सब अपनी-अपनी राजीनीतिक टिप्पिणियां कसकर खुद को लाइमलाइट में लगाने में लगे हुए हैं। लेकिन कोई भी घटना के मुद्दे को लेकर बात नहीं कर रहा है। लगभग एक साल से किसान कृषि कानून के बिलों को लेकर देश में जगह -जगह धरना दे रहे हैं। यह घटना कोई पहली नहीं है जहां पर किसान की मौत होने पर बवाल मचा है। हाल ही में जब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकत हुई थी तो उन्होंने प्रधानमंत्री से कृषि बिलों को हटाने बात रखी थी। किसान धरनों को पार्टियां सिर्फ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं वहीं उनके मुख्य मुद्दें को राजनितिक दंगो में कहीं शांत कर दिया गया है। राजनीतिक पार्टियां किसानों को कठपुतलियों की तरह नचा रही है वहीं सरकार अपनी आँखें बंद यह सब चुप-चाप से देख रही है।
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