खबर लहरिया Blog Ladakh News: लद्दाख में राज्य के दर्जे की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन में हिंसक माहोल, 4 की मौत 

Ladakh News: लद्दाख में राज्य के दर्जे की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन में हिंसक माहोल, 4 की मौत 

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में हिंसक प्रदर्शन हुआ। छात्रों की पुलिस और सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोग घायल हैं।

clash between students and police

छात्रों और पुलिस के बीच झड़प (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन 24 सितंबर 2025 को लेह में हिंसा, आगजनी और सड़क पर झड़पों में बदल गया जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कम से कम 80 लोग घायल हो गए। जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा पिछले 35 दिनों से भूख हड़ताल किया जा रहा था। जिसमें उनकी मांग थी कि लद्दाखियों को संवैधानिक सुरक्षा ताकि उनकी ज़मीन और संसाधन बाहरी दखल से बच सके। इसके साथ ही चुनावी वादें को पूरा नहीं किए जाने को लेकर भी वे प्रदर्शन कर रहे थे। अगले दिनों में छात्रों, युवाओं और स्थानीय संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन देना शुरू किया। उसके बाद 17 से 20 सितंबर छोटे-छोटे धरने और रैलियां भी शुरू होने लगी लेकिन जब सरकार की  तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो उनकी नाराजगी और गहरी हो गई। 23 सितंबर 2025 को दो अनशनकारियों की तबियत बिगड़ने लगी, वे अचानक से बेहोश हो गए। ये दोनों सोनम वांगचुक के साथ भूख हड़ताल पर बैठे हुए थे। इसके बाद छात्र संगठनों ने 24 सितंबर 2025 को लेह बंद का आह्वान किया। इसी दिन आंदोलन हिंसा में बदल गया जिसमें चार लोगों की मौत हो गई है। हालत बेक़ाबू होते देख सोनम वांगचुक ने 25 सितंबर 2025 को अपना भूख हड़ताल तोड़ कर लोगों से शांति की अपील की है। 

आंदोलन समर्थकों ने क्या कहा –  

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 24 सितंबर 2025 को हुई हिंसा के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए वांगचुक ने कहा कि “हज़ारों प्रदर्शनकारी अनशन स्थल पर शांतिपूर्वक बैठे थे प्रार्थना कर रहे थे और भाषण सुन रहे थे। तभी युवाओं का एक बड़ा समूह अलग हो गया और नारे लगाते हुए बाहर निकल आया”। उन्होंने कहा कि बाद में उन्हें पता चला कि युवा उग्र हो गए थे और उन्होंने कार्यालयों, पुलिस वाहनों और भाजपा कार्यालय पर हमला किया था। वांगचुक ने कहा कि वे प्रदर्शनकारियों की भावनाओं को समझते हैं लेकिन यह (हिंसा) सही रास्ता नहीं था। और यह लड़ाई “शांति और संघर्ष” के साथ लड़ी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि युवा अधीर हो रहे थे।” वे हमसे कहते थे कि उन्होंने हमारे द्वारा अपनाए गए शांतिपूर्ण रास्ते के नतीजे देखे हैं कि वे इसमें विश्वास नहीं करते… लेकिन हमें ऐसी किसी चीज़ की उम्मीद नहीं थी। भूख हड़ताल वापस लेने के बारे में वांगचुक ने कहा अगर हम इसे जारी रखते हैं तो हमें डर है कि और अधिक लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ जाएंगे गुस्सा और बढ़ेगा और स्थिति विस्फोटक हो सकती है… इससे देश की सीमाओं पर अस्थिरता भी आ सकती है।”

Sonam Wangchuk

सोनम वांगचुक (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

 जम्मू -कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए कहा कि लद्दाख भी केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर की तरह “धोखा” महसूस कर रहा है। अब्दुल्ला ने एक्स पर पोस्ट किया, “लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का वादा भी नहीं किया गया था, उन्होंने 2019 में केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने का जश्न मनाया और वे खुद को ठगा हुआ और गुस्से में महसूस कर रहे हैं। अब कल्पना कीजिए कि हम जम्मू-कश्मीर में कितना ठगा हुआ और निराश महसूस करते हैं जब जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का वादा अधूरा रह जाता है, जबकि हम लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और ज़िम्मेदारी से इसकी मांग करते रहे हैं।” जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार “संकट प्रबंधन” से आगे बढ़े। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि भारत सरकार 2019 के बाद से वास्तव में क्या बदला है, इसका ईमानदारी से और गहन मूल्यांकन करे… लेह, जो लंबे समय से अपने शांतिपूर्ण और संयमित विरोध प्रदर्शनों के लिए जाना जाता रहा है, अब हिंसक प्रदर्शनों की ओर एक परेशान करने वाला बदलाव देख रहा है।”

स्थानीय लोगों के बयान 

द हिंदू की खबर अनुसार स्थानीय लोगों बताया कि हिंसा तब भड़की जब पुलिस ने भाजपा कार्यालय के बाहर जमा हुए एलएबी प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की। भाजपा कार्यालय के बाहर पथराव की भी खबरें हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। भाजपा समर्थकों और एलएबी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पों के दौरान कई वाहनों में आग भी लगा दी गई। भाजपा कार्यालय के बाहर हिंसा भड़कने के कारणों पर पुलिस ने कोई बयान जारी नहीं किया है।

लेह में धारा 163 लगा दिया गया 

हिंसक प्रदर्शन के बाद बुधवार को प्रशासन ने लद्दाख के लेह जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत लागू कर दी। निषेधाज्ञा के तहत पांच या इससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेह के जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक ने निषेधाज्ञा आदेश जारी कर कहा कि इस आदेश का कोई भी उल्लंघन होने पर बीएनएस की धारा 223 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि बीएनएसएस की धारा 163 के तहत सक्षम प्राधिकारी की पूर्व लिखित स्वीकृति के बिना कोई जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जायेगा।

            

लेह लद्दाख के लोगों की तीन मांगें हैं- 

– लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले 

– 6वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा मिले 

– कारगिल और लेह अलग लोकसभा सीट बने 

– सरकारी नौकरी में स्थानीय लोगों की भर्ती 

– चुनावी वादें को पूरा किया जाए 

4 लोगों की मौत 70 घायल 

जानकारी के अनुसार इस हिंसा छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई इसी में पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई और कम से कम 70 लोग घायल हो गए। लेह में भाजपा कार्यालय को भी आग लगा दी गई। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की। भाजपा ऑफिस और CRPF की गाड़ी में आग लगा दी। उधर, प्रशासन ने लेह में बिना अनुमति रैली, प्रदर्शन पर बैन लगा दिया है।

Arson during violence

हिंसा के दौरान आगज़नी (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

 6 अक्टूबर को सरकार के साथ बैठक

इन मांगों के लेकर सरकार के साथ बैठक दिल्ली में 6 अक्टूबर को होगी। साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाते समय जम्मू – कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे। सरकार ने उस समय ही राज्य के हालत सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा दिया था। दैनिक भास्कर के खबर अनुसार सोनम ने भास्कर रिपोर्टर वैभव से बातचीत में कहा कि मुझे सही तो नहीं पता कि कौन से हथियार प्रयोग किए गए, रबर गोली का तो सुना था। हालांकि हमारे कई युवा मारे गए हैं। इससे लगता है कि असली गोली भी चलाई गई है। आगे की रणनीति पर कहा कि कल जब गृह मंत्रालय के बड़े अधिकारी आएंगे तो देखेंगे कि वो हमारी बात सुनते हैं कि पहले की तरह अनसुना करते हैं। हम पिछले 5 सालों से शांति और अनशन के माध्यम से अपनी बात रख रहे थे, अगर वो सुनी जाती तो युवाओं को सड़कों पर नहीं आना पड़ता। जब शांतिपूर्ण रास्ता मजाक बन रहा था तो ये रास्ता अपनाया। सोशल मीडिया पर आंदोलन को GenZ रिवोल्यूशन बताने की वायरल वीडियो पर सोनम ने कहा- मैने GenZ रिवोल्यूशन शब्द यूज नहीं किया।

“मैं प्रशासन से आँसू गैस का इस्तेमाल बंद करने का आग्रह करता हूँ।”

अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए, वांगचुक ने शांति की अपील की। ​​जलवायु कार्यकर्ता ने कहा, “मैं युवाओं से आगजनी और झड़पें रोकने का अनुरोध करता हूँ। हम अपना अनशन समाप्त कर रहे हैं, और मैं प्रशासन से आँसू गैस का इस्तेमाल बंद करने का आग्रह करता हूँ। अगर हिंसा में जानें जाती हैं तो कोई भी भूख हड़ताल सफल नहीं होती।”

 

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