मनोज कुमार, जिला वाराणसी के सारनाथ के रहने वाले हैं जोकि पेशे से सीवर सफाई कर्मी है जिसे मैला ढोने का कार्य भी कहा जाता है। वह तकरीबन 20 साल से सारनाथ में रह रहें है और यह काम कर रहें हैं, लेकिन उन्हें अभी तक किसी भी चीज़ का मुनाफा नहीं मिला है।सरकार की तरफ से सफाई कर्मियों के लिए कई नियम वह कानून हैं। यहाँ तक की उनको मान्यता भी प्राप्त है, लेकिन आज भी इन्हें कोई लाभ नहीं मिलता।
मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 (manual scavenging act 2013) के तहत सीवर में सफाई के लिए किसी भी व्यक्ति का उतरना पूरी तरह से गैर-कानूनी है। अगर किसी परिस्थिति में व्यक्ति को सीवर में उतरना पड़े तो उसके लिए कुछ नियम का पालन करना ज़रूरी है। जैसे उसे ऑक्सिजन सिलेंडर, स्पेशल सूट, मास्क, सेफ्टी उपकरण इत्यादि देना ज़रूरी है। हालांकि, इन नियमों को कई बार अनदेखा कर दिया जाता है।
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मनोज कुमार बताते हैं की वह रोज़ाना 5 बजे काम पर जाते हैं और 8 घंटे शिफ्ट में काम करके 2 बजे वापिस आते हैं। उन्हें दिन के केवल 300 रूपये मिलते हैं जिसके चलते इन्हें दूसरे काम भी करने पड़ते हैं। काफी सालों से वह ऐसी ही ज़िन्दगी जी रहें हैं। इनका 6 लोगों का परिवार है। इतने काम पैसे में बहुत मुश्किल से इनका घर चलता है।
सीवर सफाई का काम भी काफी चुनौतीपूर्ण होता है। इसमें मरने का भी डर रहता है और कभी सफाई करने के लिए इनको सीवर के अंदर तक जाना पड़ता है तो इन्हें उसके लिए शराब पीनी पड़ती है। रोज़ाना वह इस चुनौती का सामना करते हैं लेकिन इनको किसी भी चीज़ का लाभ नहीं मिलता।
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