नई दिल्ली: पाकिस्तानी मिलीट्री कोर्ट द्वारा कुलभूषण जाधव को मृत्यु दंड सुनाए जाने के बाद भारत के पास वर्ष 2017 में ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) के पास जाने के सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया था। भारत ने साबित किया कि कुलभूषण जाधव एक सिविलियन था जिसे अपहरण कर कराची ले जाया गया। जिसके माध्यम से वह भारत को अपने बलोचिस्तान की परेशानियों पर आरोप लगा कर घेरना चाहता था।
भारत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जाधव ने अपने बचाव के लिए किसी भी प्रकार की कानूनी मदद से मना कर दिया। उसे उस कुबूलनामे पर मृत्युदंड दिया गया जो उससे पाकिस्तान की जेल में बंद रहते हुए कुबूल किया था।
भारत ने इस केस को इस तथ्य के तहत ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में रखा कि पाकिस्तान इसमें 36(1) (b) वियना संधी का उलंघन कर रहा है जिसमें विदित काउंसलर संबंधों के तहत पाकिस्तान को किसी भी भारतीय नागरिक को गिरफ्तार करते ही सबसे पहले भारत को ख़बर करना आवश्यक है।
कथित तौर पर पाकिस्तान ने 3 मार्च 2016 को जाधव को गिरफ्तार किया था जबकि उसके फोरेन सेक्रेटरी ने इस्लामाबाद में भारतीय हाईकमीशन को 25 मार्च 2016 को इस गिरफ्तारी के बारे में बताया। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी नहीं बताया कि उसे भारतीय हाईकमीशन को जाधव की गिरफ्तारी संबंधी जानकारी देने में तीन सप्ताह का समय क्यों लगा।
पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी के बारे में भारत को जानकारी ना दे कर, जाधव को उसके अधिकारों के बारे में ना बता कर और भारतीय अधिकारियों को उससे मिलने नहीं दिया इस तरह उसने लगातार वियना संधी का उलंघन किया।
सारा केस पाकिस्तानी मिलीट्री कोर्ट ने चलाया और जाधव को मौत की सजा सुना दी गई जबकि यह सारा मामला ‘कन्फेशन टेकन अंडर अरेस्ट’ यानी ‘गिरफ्तारी में कुबूल करने’ पर आधारित था। इसमें कोई वकील या कानून से जुड़ा अधिकारी उपस्थित नहीं था। भारत का कहना है कि क्या यह यह हंसी-मजाक की बात है!
जबकि यह वियना संधी में और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा कानून में विदित है इसके साथ ही साथ यह ICCRP (इंटरनेशनल कंवेंट ऑन सिविल एंड पोलिटिकल राइट्स), मानवाधिकार आयोग के नियमों ICCRP के नियमों की अनदेखी है।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि भारत ने पाकिस्तान के दावे को यह साबित करते हुए कड़ा मुकाबला दिया कि उसने वर्ष 2008 के द्वीपक्षीय समझोते की अनदेखी करके वियना संधी का उलंघन किया है।
भारत ने तर्क से साबित किया कि वियना संधी के अनुसार स्टेट्स के अपने-अपने नियम हो सकते हैं परन्तु आर्टिकल 73 (2) कानून की धारा के तहत केस की सुनवाई की जाएगी।
भारत ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में अपना पक्ष रखने में सफल रहा कि पाकिस्तान वियना संधी की धारा 36 का का उलंघन कर रहा है जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि जहां कोई प्रथम द्रष्टया ‘जासूस’ नहीं है।
भारत ने यह भी साबित किया कि मिलिट्री कोर्ट का इस्तेमाल किसी सिविलियन के विरुद्ध नहीं किया जाता और विदेशी नागरिक के संबंध में मिलिट्री कोर्ट का इस्तेमाल करना ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का उलंघन है।