मीरा- गोलकी बहिनी रिसियाय गई हौ का?
नाजनी- नहीं मटरी बहिनी तुमसे काहे रिसियाव भला
मीरा- बहुत दिन से चकल्लस करै नहीं आई आहू
नाजनी-का करौ दिन रात नींद नहीं आवै मारे सोच के
मीरा- काहे का सोंच
नाजनी- अरे बडकउना दादा के बिटिया विदेश मा पढ़ाई करत रहै। कहत हैं कि वहिका आ पावैं मा बहुतै बल है
मीरा- आय दईया, गोहार रे, सरकार कुछौ तौ करबै करी।
नाजनी- अरे सरकार का करी, वा बिचारी चुनाव मा परेशान है। वहिका लड़का विटिया थोरी आहीं। मड़ई विदेश का तौ भागत है। का हिंया यूनिवर्सिटी निहाय।
मीरा- सब कहत हैं कि है तौ यूनिवर्सिटी पै करोडन रुपया लागत है और विदेशन मा लाखन मा होई जात है।
नाजनी-छोड़ो तौ ईं बाते हमें अपने सरकार के ऊपर भरोसा है वा कुछ तौ करबै करी। भले ही वहिका मनमाना किराया बढ़ा के बच्चन का लावै का परै। काहे से हमार सरकार आफत मा अवसर ढूंढ़ के मानत है।
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मीरा-अब या दरकी केहिके सरकार बनइहौ
नाजनी- हमरे बनाए से है का। यहिमा सबका हाथ होत है
मीरा- काल्ह के बात बताऊं। सबै पार्टी के नेता एकै साथ हमरे बस्ती मा आय गें। कउनो या कोने मा भाषण देय तौ कौनों वा कोने। थोई देर मा सब जोर जोर से चिल्लियाय लाग। कहै लाग हमार नेता जीती और हम जीतब। मड़ई सुनत सुनत अघाय गा तौ लइके डंडा दौडाय लिहिन। चिल्लात भाग सब।
नाजनी- जीती तौ एकै पै ताल सब ठोकें हैं। वैसे बताऊं मोर मन है कि झुंगली बहिनी जीत जाय
मीरा-नहीं नहीं। बंदरवा बाबा जीत जाय का चाही।
नाजनी- नहीं झुंगली
मीरा- नही बंदरवा बाबा
नाजनी- नहीं झुंगली
मीरा-नहीं बन्दवरवा बाबा
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