नमस्कार दोस्तों, मैं मीरा देवी खबर लहरिया की प्रबन्ध सम्पादक अपने शो राजनीति रस राय में आपका बहुत-बहुत स्वागत करती हूं। कहते हैं हम तो डूबे हैं सनम, तुमको भी ले डूबेंगे- ये हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने ना बेचारे हमारे प्रधानमंत्री और उनके जिगरी दोस्त अडानी की खटिया खड़ी कर रखी है। साफ सुथरी और दीये के प्रकाश जैसी निष्छल और विश्वगुरु की पहचान वाले देश की सरकार का दुनिया में मटिया मेट कर रखा है। दोस्ताना की मेहनत में पानी फेर दिया है। जबकि अडानी ग्रुप मुखिया गौतम अडानी ने अपनी दोस्ती को दांव में लगा दिया कि वह दोनों दोस्त नहीं है बस दोनों का निवास स्थान गुजरात है। अडानी जी, तुम्हार बात कोउ न मानी।
जब से अडानी का पोल-खोल हुआ है मानो सरकार के विपक्ष को चुस्कियां लेने का मौका ही मिल गया हो। मानो खुद दूध की धुले हैं। इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भविष्यवाणी वायरल है। संसद स्थगित करनी पड़ रही है क्योंकि विपक्ष एकजुट है। बोल रहे हैं कि अडानी ग्रुप को एनडीटीवी के पत्रकार रहे रवीश कुमार की आह लग गई है। ट्विटर में #मोदी_अडानी_ने _देश_लूटा, #चौकीदार_ही_चोर_है के हैशटैग चलाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर खूब विरोध ज़ारी है लेकिन ज़्यादा उछलो न। हमारी महान सरकार को इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि एक तबका है सरकार के पास जिसको महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य, आम बजट जैसी तमाम कमियां महसूस ही नहीं होतीं हैं।
ये भी देखें – Bageshwar Dham : बाबागिरी का मतलब बिज़नेस चलाना, राजनीति रस राय
भारतीय बैकिंग में जिसमें हम सबका पैसा लगा हुआ है। एलआईसी में आम जनता का पैसा लगा हुआ है लेकिन अडानी को बचाने के लिए डूबते जहाज में अभी भी इस सरकारी पैसे को झोंका जा रहा है। एलआइसी से बयान दिलवाया जा रहा है कि वह अडानी के साथ है। वैसे दोस्ती ऐसी ही होनी चाहिए कि मुश्किल घड़ी में साथ नहीं छोड़ना चाहिए लेकिन यहां पर फ्रॉड की बात है, घपलेबाजी की बात है, जहां पर जांच की जानी चाहिए वहां पर साथ निभाया जा रहा है।
एलआईसी और भारतीय बैंकों में लगा पैसा किसका है? अगर पैसा डूबा तो किसका डूबेगा? चूंकि अडानी से भाजपा को सपोर्ट मिलता है। चुनाव लड़ने में मदद मिलती है इसलिए अडानी को बचाने के लिए आम जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा संकट में डालने से भी सरकार पीछे नहीं हट रही है। इस बात पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है कि इस पर जांच करने वाली सीबीआई मतलब सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) और आरबीआई का ध्यान न गया हो कि अडानी को इतनी मात्रा में पैसा दिया गया।
अगर यह मान लिया जाय कि इस लाखों करोड़ों मनी लॉन्ड्रिंग में सेबी और आरबीआई का ध्यान नहीं गया।हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे को आरोप और दावा मान लेते हैं तो ऐसा क्यों हुआ कि अडानी ग्रुप में पैसा लगाने वाले लोग अडानी से ज़्यादा हिंडनबर्ग रिपोर्ट में विश्वास किया? साफ है कि यह गड़बड़ी हुई है। एक उद्योगपति की मनी लांड्री पर, ब्लैक मनी में फंसी कम्पनियां चलाने से लेकर आम जनता के साथ फ्रॉड करने के आरोप लगे जिसके एक हफ्ते के अंदर ही सौ बिलियन डूब गए। इसके बाद भी तब ऐसे कैसे हो सकता है कि ऐसे मामले में सरकार जांच करने के आदेश तक न दे। कोई एफआईआर तक न करे। जेल में जाने की बात न करे।
देश की जनता दुनिया की सबसे बड़ी कार्पोरेट कम्पनी के फ्रॉड के असली सच को जानना चाहती है। सिर्फ जांच कराने की ही तो बात है, क्या कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। विपक्ष का बढ़ता दबाव देखकर 3 फरवरी 2023 को मोदी सरकार के संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार से इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या आपको इस मामले से कोई लेना देना है और क्या आपके कान में जूं रेगा? मुझे कमेंट करके जरूर बताइएगा, धन्यवाद।
ये भी देखें – सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने वालों पर क्या होगी कार्यवाही? देखें राजनीति,रस,राय
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’
देश में आग लगाने वाले शासक चौकीदार।
जगह-जगह पर लूजपोल की बहुत भरमार।