नमस्कार दोस्तों, मैं मीरा देवी खबर लहरिया की प्रबन्ध सम्पादक अपने शो राजनीति रस राय में आपका बहुत-बहुत स्वागत करती हूं। दोस्तों आपने अमृतकाल नाम तो सुना है न। थोड़ा मैंने भी जानकारी इकट्ठा की है। मैं मीडिया चैनलों की रिपोर्ट के हिसाब से बता रही हूँ कि ‘अमृत काल’ शब्द का पहली बार इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान किया था। उसके बाद 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते समय इस नाम को बार-बार दोहराया। अमृतकाल शब्द सुनने में बड़ा अच्छा लगता है। प्रधानमंत्री ने इस शब्द की आड़ में देश को बदलने की बात कर रहे हैं। कितना बदला है आइये जानते हैं।
इस अमृतकाल की सच्चाई क्या है? वैसे इसको बताने की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी मैं आपके साथ चर्चा करने आई हूं। देश के कोने-कोने से आने वाली सिर्फ एक दिन (शॉट ऑफ 19 फरवरी 2023) की खबरों ने हैरान परेशान कर दी है। यह वह खबरें हैं जिन पर बड़े ज़ोर से आवाज उठती हैं लेकिन सख्त कार्यवाही नहीं। देश का प्रधानमंत्री जब चुप्पी साध ले तो फिर काहे की कार्यवाही। वही कहावत सइयां भले कोतवाल तो डर काहे का।
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- मध्यप्रदेश के उज्जैन शिव मंदिर में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी।
- हरियाणा के मोनू मानेसर के स्पोर्ट में रैली निकाली गई। उसके ऊपर दो मुस्लिम व्यक्तियों को जिंदा जलाकर मार देने का आरोप
- छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर की सड़कों पर तीन घण्टे तक एक लड़की को घसीटता, मारता रहा व्यक्ति। तमाशबीन बनी रही भीड़।
- बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का भाई दलित लड़की की शादी में घुसकर की दबंगई। इस लड़की के परिवार ने बागेश्वर धाम के पंडाल से शादी करने से मना किया था।
- सीतापुर जिले के खैराबाद क्षेत्र स्थित बड़ी संगत के महंत बजरंग मुनि का बयान सोशल मीडिया पर आपने तो देखा ही होगा। उन्होंने कहा कि मुसलमानों का नरसंहार करना पड़ेगा। जब तक मुसलमानों का नरसंहार नहीं होगा,भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बन पाएगा।
- हरियाणा में पुरानी पेंशन की मांग पर पुलिस ने बर्बरता की। बिहार के मजदूरों ने मनरेगा योजना की मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर हफ़्तों से दिल्ली के जंतर-मंतर में आंदोलन कर रहे हैं।
ये सारी खबरें एक दिन की हैं। सोच लीजिए हर रोज जानी और अनजानी कितनी डरावनी खबरें होती होंगी। जिनसे हम वाकिफ होते हैं और नहीं भी होते। फिर भी मोदी सरकार 30 साल और मांग रही है। गृहमंत्री अमित शाह को सुन लीजिए। जब बीजेपी की सरकार आई थी तब प्रधानमंत्री ने साठ महीने मांगे तो तब ये हाल है। अब सोचो और 30 साल मिल जाएंगे तो क्या होगा? फैसला आपका क्या है?
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