पैरा खिलाड़ी योगेश कथुनिया (Yogesh Kathuniya) ने आज सोमवार को हुए पुरुष डिस्कस F56 ( men’s discus F56 final) फाइनल में सिल्वर मैडल जीता है। योगेश के अलावा मेडल जीतने वाले पैरा खिलाड़ियों में अवनि लेखरा,मोना अग्रवाल, मनीष नरवाल, प्रीति पाल, रुबीना फ्रांसिस और निषाद कुमार का नाम शामिल है।
Paris Paralympics Games 2024: भारत ने पेरिस पैरालंपिक गेम्स में अब तक आठ मेडल जीते हैं जिसमें 1 गोल्ड, 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज़ मेडल शामिल हैं। पैरा खिलाड़ी योगेश कथुनिया (Yogesh Kathuniya) ने आज सोमवार को हुए पुरुष डिस्कस F56 ( men’s discus F56 final) फाइनल में सिल्वर मैडल जीता है।
27 वर्षीय योगेश ने इस स्पर्धा में 42.22 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया, जो इस सत्र का उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। वहींब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने 46.86 मीटर के पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता। ग्रीस के कोंस्टेंटिनोस त्ज़ुनिस ने 41.32 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।
योगेश के अलावा मेडल जीतने वाले पैरा खिलाड़ियों में अवनि लेखरा,मोना अग्रवाल, मनीष नरवाल, प्रीति पाल,रुबीना फ्रांसिस और निषाद कुमार का नाम शामिल है।
पैरा खिलाड़ी निषाद कुमार व प्रीति पाल
रविवार, 1 सितंबर को निषाद कुमार (Nishad Kumar) और प्रीति पाल ने देश के लिए पदक जीते। 24 साल के निषाद कुमार ने मेंस हाई जंप इवेंट में T 47 कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता। निशाद ने सीजन की सर्वश्रेष्ठ 2.04 मीटर की छलांग लगाई और सिल्वर मेडल हासिल किया। वहीं यूएसए के रोडरिक टाउनसेंड (Roderick Townsend) ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया, जिन्होंने टोक्यो में भी स्वर्ण पदक जीता था।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार,छः साल के उम्र में खेत से घास काटने वाली मशीन से उनका दाहिना हाथ कट गया था। खेल में रुचि लेने और उसे अपनाने की उम्मीद व जज़्बा उन्हें अपनी माँ से मिला जो खुद एक स्टेट-लेवल वॉलीबॉल खिलाड़ी और डिस्कस थ्रोअर रह चुकी हैं। 2009 में निषाद ने पैरा-एथलेटिक्स में अपने कदम रखे और तब से आज तक उन्होंने इस खेल को अपना कर रखा है।
23 वर्षीय प्रीति पाल ने भारत के लिए इस पेरिस पैरालंपिक में दो कांस्य पदक जीते हैं। रविवार को हुए ‘वीमेंस 200 मीटर T35 रेस’ इवेंट में 30.01 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ उन्होंने ब्रॉन्ज़ मेडल जीता। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, टी35 में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनमें हाइपरटोनिया, अटैक्सिया और एथेटोसिस सिन्ड्रोम होता है।
इसके साथ ही शुक्रवार को भी प्रीति ने ‘टी35 100 मीटर’ प्रतियोगिता में 14.21 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ कांस्य पदक जीता था। जानकारी के अनुसार, 1984 के बाद से भारत ने जो भी एथलेटिक्स पदक जीते थे वो सभी फील्ड स्पर्धा से आए थे। बता दें कि प्रीति पाल मलटीपल यानी एक से ज्यादा पैरालंपिक मेडल जीतने वाली सिर्फ 7वीं भारतीय हैं।
पैरा शूटर मनीष नरवाल
भारत के 22 साल के मनीष नरवाल ने पेरिस 2024 पैरालंपिक में पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग SH1 वर्ग में शुक्रवार, 30 अगस्त को सिल्वर मेडल जीता था। भारतीय पैरा शूटर मनीष नरवाल ने फाइनल में 234.9 अंक हासिल किए। बता दें, 22 वर्षीय पैरा शूटर मनीष दिल्ली एनसीआर के बल्लभगढ़ से हैं।
हिन्दुतान टाइम्स की रिपोर्ट ने लिखा, नरवाल को देखकर लग रहा था कि आखिरी छह शॉर्ट्स में उन्होंने अपनी लय खो दी है। उन्होंने 10 शॉट लगाए और 10.1, 8.9 और 9.9 स्कोर किया। वहीं कोरिया के पैरा खिलाड़ी ने 10.8 और उसके बाद 8.7 का शानदार स्कोर कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया।
पैरा खिलाड़ी रुबीना फ्रांसिस
जबलपुर की रुबीना फ्रांसिस ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल एसएच-1 इवेंट के फ़ाइनल में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
पैरा खिलाड़ी अवनि लेखरा व मोना अग्रवाल
पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 के दूसरे ही दिन अवनि लेखरा ने 10 मीटर एयर रायफल (SH1) इवेंट में भारत के लिए पहला गोल्ड जीता। इसी इवेंट में भारत की 37 वर्षीय मोना अग्रवाल ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीता। दोनों ही पैरा खिलाड़ी राजस्थान की रहने वाली हैं।
अवनि लेखरा की बात करें तो 11 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना में उनकी कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज (paralyse) हो गया था। पेरिस पैरालंपिक से पहले उन्होंने टोक्यो में हुए खेल में भी गोल्ड मेडल जीता था।
249.7 के साथ अवनि ने गोल्ड मेडल जीता। वहीं कोरिया की ली युनरी (Lee Yunri) ने 246.8 के स्कोर के साथ सिल्वर व भारत से साथी पैरा खिलाड़ी मोना ने 228.7 के स्कोर के साथ ब्रॉन्ज़ मेडल जीता।
यह पहली बार था कि भारत ने पैरालंपिक खेलों में एक ही स्पर्धा में दोहरा पोडियम स्थान हासिल किया हो।
37 वर्षीय पैरा खिलाड़ी मोना अग्रवाल को पोलियो है। एनडीटीवी राजस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, पहले वह शॉटपुट, डिस्कस, जेवलिन थ्रो में हाथ आजमाना चाहती थीं फिर उन्होंने 2021 में शूटिंग में करियर बनाने का फैसला किया।
मोना दो बच्चों की माँ हैं जिनकी उम्र 5 और 3 साल है। जब उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया था, उस समय उनके 3 साल के बेटे का जन्म हुआ था। उनके जीवन की परिस्थितियों से उनके जीवन के संघर्ष के बारे में बखूबी पढ़ा जा सकता है।
आज भी भारत के कई मैच हैं जिनमें से एक सिल्वर मेडल तो भारत को मिल चुका है। बाकी बचे हुए खेलों से भी भारत को मेडल की उम्मीद है।
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