बंगाली बथुआ को वाटरलीफ (Waterleaf), सूरीनाम पर्सलेन (Surinam purslane), सांबर चीरा (sambar cheera), सीलोन पालक (Ceylon Spinach) के नाम से भी लोग जानते है।
रिपोर्ट – संगीता, लेखन – सुचित्रा
भारत में हर इलाके की अपनी-अपनी खासियत होती है, खासकर जब बात साग-सब्जी की हो। गांव-देहात में साग का विशेष महत्व होता है। आज हम एक ऐसे साग के बारे में बात करेंगे जो न केवल उत्तर प्रदेश (यूपी) में बहुत लोकप्रिय है, बल्कि बंगाल की शान भी माना जाता है इसका नाम है बंगाली बथुआ।
बंगाली बथुआ के अन्य नाम
बंगाली बथुआ को वाटरलीफ (Waterleaf), सूरीनाम पर्सलेन (Surinam purslane), सांबर चीरा (sambar cheera), सीलोन पालक (Ceylon Spinach) के नाम से भी लोग जानते है। बाजार में जब किसी ने सब्जी बेच रहे रामचंद्र से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह बंगाली साग है और इसे बंगाल में बनाकर खाया जाता है। इसका नाम बथुआ है लेकिन यह देसी बथुआ से एकदम अलग होता है।
क्या है बंगाली बथुआ?
बंगाली बथुआ एक खास तरह का हरा साग है, जिसे गांवों में बड़े चाव से खाया जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये साल के 12 महीने मिलता है। चाहे गर्मी हो, सर्दी हो या बरसात — ये साग हर मौसम में उपलब्ध रहता है।
इस साग की सबसे अच्छी बात यह है कि ये शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। गांवों में लोग अपने घर के आसपास इसके 2-4 पेड़ जरूर लगा लेते हैं ताकि ताज़ा बथुआ हमेशा मिल सके।
बरसात में और भी खास
अभी बरसात का मौसम चल रहा है। इस समय पालक, सोया जैसी सब्ज़ियां मिलनी मुश्किल हो जाती हैं, लेकिन बंगाली बथुआ एक ऐसा साग है जो बारिश जितनी ज्यादा होती है, उतना ही तेजी से पनपता है। इसलिए यह साग बरसात के दिनों में और भी आसानी से उपलब्ध रहता है।
बंगाली बथुआ से क्या-क्या बनाया जा सकता है?
इस साग की खासियत यह है कि इसे कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है
उड़द और मटर की दाल के साथ – इसमें मिलाकर केवटी दाल बनाई जाती है, जो स्वाद में बहुत ही लाजवाब होती है।
बंगाली बथुआ के पकोड़े – लोग पालक की पकौड़ी बनाते हैं, वैसे ही बथुआ डालकर पकौड़ी बनाई जाती है। यह पकौड़ी बहुत मुलायम और स्वादिष्ट होती है।
बथुआ की सब्ज़ी – आलू और मसालों के साथ इसे पका कर सब्ज़ी बनाई जाती है, जो देसी स्वाद से भरपूर होती है।
बंगाली बथुआ बनाने की विधि
सबसे पहले बथुआ को अच्छे से धो लें। एक कढ़ाई में सरसों का तेल गर्म करें। उसमें लाल मिर्च डालें और फिर कटे हुए आलू डालकर हल्का भूनें। अब उसमें बथुआ की पत्तियां और डंठल दोनों डाल दें। नमक मिलाएं और धीमी आंच पर ढककर पकने दें। जब सब्ज़ी पूरी तरह से पक जाए और साग-आलू मुलायम हो जाएं, तब गैस बंद करें। इस सब्जी को गर्म रोटी या चावल के साथ परोसा जा सकता है।
ग्रामीण इलाकों में बंगाली बथुआ एक सस्ता, सुलभ और स्वास्थ्य के लिए फायेदमंद साग है, जो हर मौसम में खाने के लिए आसानी से मिल जाता है। इसकी खासियत यह है कि इसे दाल, पकौड़ी और सब्जी किसी भी रूप में खाया जाए, यह स्वाद और सेहत दोनों में भरपूर होता है। खासकर गांव-देहात में यह साग बरसात के मौसम में बहुत पसंद किया जाता है। अगर आप साग खाने के शौक़ीन है तो इस बार बंगाली बथुआ का स्वाद चख कर देखिये, इसका स्वाद आपको एक नए स्वाद से परिचित कराएगा।
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