जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, गांव गेदुरहा की पूर्व प्रधान सन्जो इस दुनिया में नहीं रहीं पर गांव-परिवार के लिए वह हमेशा के लिए अपनी एक सुनहरी याद छोड़ गयीं। वह भले ही कम शिक्षित थीं पर इतना ज़्यादा हुनर था कि लोग उनसे सीख लेते थें।
संजो प्रधान अपने काम को लेकर सम्मानित भी हुई थीं। अगर उनकी वेश-भूषा की बात करें तो वह स्वयं को एक पुरुष की भांति प्रतिबिंब करती थी, वह पुरुष जो समाज की अवधारणा है। कुर्ता-पजामा, छोटे बाल और बाइक से चलती थीं। कई बार तो लोग आश्चर्य में पड़ जाते थे कि वह महिला हैं या पुरुष।
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संजो प्रधान ऐसी निडर और साहसी महिला थी जिन्होंने आदिवासी लोगों के बीच भी अपनी एक अलग पहचान बनाई।
बुंदेलखंड जो डाकुओं का क्षेत्र माना जाता है, वहां भी संजो ने निडर होकर काम किया और क्षेत्र में अलग पहचान बनाई।
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