बुंदेलखंड अनेक प्रथाओं और परामपराओं के लिए काफी प्रसिद्ध है। इन्हीं प्रथाओं में से एक प्रथा सदियों से चली आ रही है। यहाँ पर एक परिवार ऐसा है जिनके दादा के ज़माने से भजन-कीर्तन जैसे कार्यक्रमों में हारमोनियम बजाने का काम हो रहा है। अब यह काम केवल मर्द नहीं बल्कि औरतें भी करने लगी हैं।
जिला बाँदा के बरेठी कला ओर भदरौली के रहने वाले विजय कुमार और गोमती से खबर लहरिया ने बातचीत की तो पता चला कि वह भजन-कीर्तन से कमाये हुए पैसों से अपना भरण- पोषण करते हैं। फिलहाल यही उनके आय का साधन है।
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भदरौला गाँव की रहने वाली गोमती को बचपन से ही गाने का शौक था और जब वह 8वीं कक्षा में थी तब उन्होंने अपने संगीत की कला को हासिल किया था। वह अक्सर भजन-कीर्तन में भक्ति गीत गाने चल जाती हैं। वैसे तो उनका संगीत के क्षेत्र में जाने का काफी मन था लेकिन उनके भाई और फूफा ने उन्हें गाने से मना कर दिया। लेकिन उनके पाती उनका काफी साथ देते है और उन्हें अक्सर जिले के छोटे कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाता हैं।
विवेक कुमार बताते हैं कि उनके घर में बाप-दादा के ज़माने से हारमोनियम बजाया जा रहा है और उन्हें अक्सर किसी न किसी अवसर पर हारमोनियम बजाने के लिए बुलाया जाता हैं। वह बताते हैं कि उनके दादा की मंडली थी इसलिए वह हारमोनियम बजाते थें। विवेक कुमार को भी हारमोनियम बजाने का शौक था और उन्होंने अपने दादा से यह कला सीखी है।
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उन्हें भक्ति कार्यक्रम, भजन-कीर्तन इन सब अवसर पर बुलाया जाता हैं। वह बताते है कि अभी तक वह बनड़ा जिला से बहार तो नहीं गए लेकिन उनकी एक दिन शहर से बहार जाकर हारमोनियम बजाने की मंशा हैं। वह कहते हैं कि ऐसे तो उन्हें पैसे नहीं मिलते लेकिन इनाम के तौर पर उन्हें 1000 से 2000 तक मिल जाता है।
लॉकडाउन के बाद से इनलगों के काम पर काफी असर पड़ा है। अब इनलोगों को इस काम के लिए कम ही बुलाया जाता है।
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