आमतौर पर डिजिटल जगहों पर महिलाओं की मौजूदगी पुरषों के मुकाबले कम नज़र आती है। ऑनलाइन जगहों पर मौजूद जेण्डर (लिंग) आधारित हिंसा, जो कोविड-19 के दौरान बढ़ी, इससे उनकी मौजूदगी में भी कमी देखी गयी।
इसलिए महिलाएं इंटरनेट पर सिर्फ उन्हीं लोगों से जुड़ाव बनाती हैं जिनको वो जानती हैं। फ़िरोज़ा ने इस चलन को नज़रअंदाज़ करते हुए एक लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक व्यक्ति के साथ चैट करना शुरू किया। जान-पहचान हो जाने के बाद उन्होंने उससे आमने-सामने मुलाक़ात की, लेकिन मिलने के बाद फ़िरोज़ा ने उस व्यक्ति से आगे कोई मेल-जोल ना रखने का फै़सला किया। इस पर उस व्यक्ति ने उन्हें ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया कि अगर वह उनके साथ रोज़ बात नहीं करेंगी तो वह उनकी चैट और तस्वीरें उनके दोस्तों और उनके साथी को भेज देगा।
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हमारे लिंग मानदंड (gender norms), फ़िरोज़ा जैसी महिलाओं को किसी भी अनजान व्यक्ति से सामाजिक जुड़ाव बनाने से रोकते हैं और इसलिए इस तरह की बातों का सबके सामने आ जाना उनमें डर पैदा कर देता है कि इसके नतीजे में उनका फ़ोन छीन लिया जाएगा या इंटरनेट का इस्तेमाल सीमित कर दिया जाएगा या इससे भी बुरा उनके साथ हिंसा भी हो सकती है। इन्हीं सब बातों को जानते हुए उस व्यक्ति ने उन्हें भावात्मक रूप से परेशान किया जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा। पूरा आर्टिकल (यहां) पढ़ें।
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