जिला अयोध्या मोहल्ला हैदरगंज अवध का प्रसिद्ध फरवाही नृत्य पहले गांव में किसान की फसल तैयार होने के बाद मनाया जाता था। क्योंकि गांव के लोगों में अनाज तैयार होने खुशी को पूरे गांव के लोग खलिहान में ढोलक, करतार, झांझ, लाठी, थाल के साथ मनाते थे और उस समय जो सुविधाएं थीं उसी के सहयोग से नृत्य करते थे तभी से इनका नाम फरवाही शब्द फरवार से बना है। इस नृत्य में कोई लय और ताल नहीं होता है इसमें जो पहनवा होता है वो धोती, गमछा, बनियान, कमर पे गमछा और घुँघरू बांधकर नाचते और लाठी और बांसुरी भी बजाते हुए पंक्तियां बनाकर नृत्य करते हैं।
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सूर्य कुमार ने बताया कि फिलहाल उनकी 20 लोगों की टीम है और बड़े कार्यक्रम के लिए 30 लोग होते हैं। यह लोग अवध की संस्कृति को दर्शाते हुए और पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के जीवनी को दिखाते हुए कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।
यह कार्यक्रम आज गांव में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी लोग पसंद करते हैं। कई बार इन्हें मुख्यमंत्री के सामने भी और नेशनल लेवल तक कार्यक्रम किया है। हर साल अवध महोत्सव में और दिल्ली में 26 जनवरी वाले कार्यक्रम में भाग लेते हैं। यह कार्यक्रम गांव की खासकर अवध की संस्कृति को दर्शाता है।
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