एक सामान्य सादया में 24 से 25 व्यंजन होते हैं और अगर इसे और भव्य स्तर पर आयोजित किया जाये तो उत्तर भारत के छप्पन भोग की तरह इनकी संख्या 64 तक पहुंच जाती है।
हाल ही में केरल घूमकर आई हमारी चीफ रिपोर्टर गीता देवी के नज़र से आप इस आर्टिकल में केरल की खूबियों के बारे में जान पाएंगे। बाँदा से चलकर पहली बार केरल गई गीता देवी ने वहां पर क्या देखा और किन-किन फेमस खानों का स्वाद चखा है यह जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें, इस आर्टिकल के ज़रिये हम आपको केरल के दर्शन कराएँगे।
चारों तरफ समुद्रीय तटों से घिरा हुआ केरल अपनी संस्कृति, परम्पराओं और सुन्दरता से भरपूर शानदार पर्यटक स्थलों में से एक है। इतना ही नहीं सुन्दरता के साथ-साथ अपने स्थानीय खाने के लिए भी बहुत ही फेमस है। केरल का इडली, डोसा, उपमा और मिठाइयों के नाम तो सबने सुने होंगे, लेकिन इसके अलावा ये शहर शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजनों का हब भी कहा जाता है। खाने का ज़ायका यहां पैदा हो रहे देशी मसालों से भी है क्योंकि यहां काजू, नारियल, मिर्च, करी पत्ता, सरसों, हल्दी, इमली, काली मिर्च, इलायची, लौंग, अदरक, दालचीनी और हींग की पैदावार होती है जिसका इस्तेमाल भी खाने का स्वाद बढ़ाता है।
केरल की फेमस ‘सादया’ की क्या है खासियत
केरल में आज भी शादी विवाह या ओणम जैसे उत्सवों पर ‘सादया’ का आयोजन होता है। इसमें केले के पत्ते पर वहां का स्थानीय पारंपरिक भोजन परोसा जाता जाता है। इसमें मुख्य रूप से चावल पर उसके साथ-साथ कई और खाने की चीज़ें भी परोसी जाती हैं। एक सामान्य सादया में 24 से 25 व्यंजन होते हैं और अगर इसे और भव्य स्तर पर आयोजित किया जाये तो उत्तर भारत के छप्पन भोग की तरह इनकी संख्या 64 तक पहुंच जाती है। इसमें मुख्य रूप से चावल के साथ कालान, अवियल, थोरान, ओलन, पछडी, किचाडी, कूटुकारी, एलिसरी, आम का अचार, पुलिंजी, नारंग अचार (नीबू का अचार), पापदाम, केले के चिप्स, शार्ककारा अप्पे, केले, सादे दही और बटरमिल शामिल हैं जिसे केले के पत्ते में परोसा जाता है। इतना ही नहीं खाने के बाद खाना पचाने के लिए बहुत ही टेस्टी दाल दी जाती है।
अगस्त के महीने में केरला फिल्म फेस्टिवल में हमारी फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए गीता देवी केरल गई थी। वह कहती हैं जैसे ही मुझे वहां की सादया थाली के बारे में जानकारी मिली उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने ठान लिया की वह इस थाली का स्वाद चखकर ही जाएंगी। इसके लिए वह एक होटल में गईं। वहां प्रवेश करते ही उन्हें केले के पत्ते पर सजे व्यंजनों की खुशबू अपनी तरफ खींच रही थी। उन्होंने भी ‘सादया’ थाली का स्वाद चखा। होटल के मालिक ने अपनी मलयाली भाषा में बात करते हुए मज़ाकिया स्वर में कहा तीखा खाने के बाद मीठा मिलता है, उसके लिए भी पेट में जगह बचाकर रखियेगा।
हरियाली की चादर ओढ़े है केरल
केरल को प्रकृति ने अपनी असीम खूबसूरती से नवाज़ा है। सफ़ेद रेत और दूर-दूर तक फैला असीम सागर केरल को और भी खूबसूरत बना देता है। सुगन्धित मसालों के साथ केरल अपनी औषधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। वैसे तो भारत के सभी राज्य सुन्दर हैं लेकिन केरल को सुन्दर बोलने के पीछे भी यह कारण है कि केरल को मानसून का घर कहा जाता है। पूरे देश में सबसे पहले मानसून वाली बारिश यहीं से शुरू होती है। इस राज्य में नदी, पहाड़, झरने, समुद्र तट वन और वन्य जीव, बैक वॉटरचाय – कॉफ़ी के बागान, प्राचीन किले और उपासना के स्थान काफी संख्या में हैं।
केरल में हैं तो झींगा करी का स्वाद चखना न भूले
अगर आप नॉनवेज खाने के शौक़ीन हैं तो केरल की झींगा करी को खाये बिना आपका सफर अधूरा है। केरल का यह पारंपरिक भोजन सभी झींगा प्रेमियों के लिए ज़रूरी है। झींगा करी को नमक और हल्दी के अलावा, मिर्च और काली मिर्च के साथ फ्राई किया जाता है, और फिर इसे नारियल के दूध और गुड़ में पकाया जाता है। अंत में इसे करी पत्ते से गार्निश किया जाता है। वास्तव में, इस विदेशी समुद्री भोजन को चखना केरल में सबसे अच्छी चीजों में से करने में से एक है जो स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी खूब पसंद आती है। अगर आप केरल गये हैं तो आपका अनुभव हमारे साथ ज़रूर साझा करियेगा।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’