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Kerala New Name: केरल का बदल सकता है नाम, जानें पूरी जानकारी

गृह मंत्रालय की मंजूरी से राज्यों द्वारा शहरों और कस्बों के नाम बदले जा सकते हैं, लेकिन किसी राज्य का नाम बदलने के लिए संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है।

Kerala New Name, Kerala may soon knows as Keralam

केरल का नया नाम रखने हेतु प्रस्ताव पर बात करते हुए केरल के सीएम विजयन / फोटो – सोशल मीडिया

Thiruvananthapuram: केरल का नाम जल्द ही बदल सकता है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने केरल का नाम बदलकर ‘केरलम’ (Keralam) करने का प्रस्ताव विधानसभा में रखा जिसे सबकी सहमति से पारित भी कर दिया गया है। इस प्रस्ताव में सीएम विजयन ने केंद्र से केरल का नाम बदलने का अनुरोध किया है।

सदन ने केंद्र से संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत नाम में संशोधन के लिए “तत्काल कदम” उठाने का भी आग्रह किया है। बता दें, संविधान का अनुच्छेद 3 राज्यों के गठन के साथ-साथ मौजूदा राज्यों के नाम या क्षेत्रों में किसी भी बदलाव से संबंधित है।

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केरल का नाम बदलने के प्रस्ताव में क्या था?

नाम बदलाव को लेकर सीएम विजयन ने कहा, ‘हमारे राज्य का नाम मलयालम भाषा में केरलम है। 1 नवंबर, 1956 को भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया गया था। केरल दिवस भी एक नवंबर को है।’ उन्‍होंने कहा, ‘मलयालम भाषी समुदायों के लिए केरल को एकजुट करने की आवश्यकता राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही स्पष्ट रही है। हालांकि, हमारे राज्य का नाम संविधान की पहली अनुसूची में केरल के रूप में सूचीबद्ध है।”

आगे कहा, ‘यह विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इसे ‘केरलम’ में संशोधित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध करती है।’ प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि यह सदन अनुरोध करता है कि हमारे राज्य का नाम संविधान की 8वीं अनुसूची में भी ‘केरलम’ रखा जाए। इस प्रस्ताव को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी यूडीएफ (संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा) ने किसी संशोधन या बदलाव का सुझाव दिए बगैर स्वीकार कर लिया। इसके बाद, अध्यक्ष एएन शमसीर ने हाथ उठाकर दिए गए समर्थन के आधार पर इसे विधानसभा द्वारा सबकी सहमति से पारित प्रस्ताव घोषित किया।

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नामों का बदलने का रहा है इतिहास

संविधान की पहली अनुसूची में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और उनके क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया गया है, जबकि आठवीं अनुसूची में भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है।

प्रस्ताव को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट गठबंधन ने स्वीकार किया, जिसने इसमें कोई संशोधन का सुझाव नहीं दिया। सर्वसहमति के तौर पर उठाये गए हाथों को देखते हुए प्रस्ताव को अध्यक्ष एएन शमसीर (AN Shamseer) द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया घोषित किया गया।

पिछले साल, केंद्र ने लोकसभा को सूचित किया था कि उसने पांच सालों में इलाहाबाद सहित सात शहरों और कस्बों का नाम बदलकर प्रयागराज करने को मंजूरी दे दी है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी कहा था कि केंद्र को पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने का प्रस्ताव मिला है।

जानकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय की मंजूरी से राज्यों द्वारा शहरों और कस्बों के नाम बदले जा सकते हैं, लेकिन किसी राज्य का नाम बदलने के लिए संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है।

देखा गया है कि पिछले कुछ सालों में, केरल अपने कई कस्बों और शहरों के मूल नामों पर वापस लौट आया है, जिसमें राजधानी त्रिवेन्द्रम भी शामिल है, जिसे अब तिरुवनंतपुरम कहा जाता है। कोचीन से कोच्चि, क्विलोन से कोल्लम और त्रिचूर से त्रिशूर, सभी अपने मूल नामों के रूप में स्थापित हो गए हैं।

 

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