खबर लहरिया कोरोना वायरस लॉकडाउन में बांद्रा स्टेशन पर उमड़े मजदूरों के सैलाब पर कविता का जवाब | द कविता शो

लॉकडाउन में बांद्रा स्टेशन पर उमड़े मजदूरों के सैलाब पर कविता का जवाब | द कविता शो

लॉकडाउन में बांद्रा स्टेशन पर उमड़े मजदूरों के सैलाब पर कविता का जवाब | द कविता शो :देश के प्रधानमंत्री ने 14अप्रैल को फिर से एक बार देश को सम्बोधित किये और बोले कि लॉकडाउन को अब 3मई तक बढ़ाया जा रहा है तो वहीं पर एबीपी न्यूज चैनल महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के पत्रकार राहुल कुलकर्ण ने एक स्टोरी चलाई कि लॉकडाउन के कारण फंसे हुए लोगों के लिए जन साधारण विशेष ट्रेनें बहाल होंगी और रेलवे ने भी चालीस हजार रेल टिकट बुक कर दिया था कुलकर्णी की खबर सुनते ही मुम्बई में फंसे यूपी और बिहार के दिहाड़ी मजदूरों के चेहरे खुशी के मारे खिल उठे और मजदूरों ने तैयारी कर ली अपने गांव जाने की सारे मजदूर मुम्बई के बांद्रा स्टेशन पर भारी संख्या में इकट्ठा हो गये , ऐसे ही हाल गुजरात शहर में हुआ वहां के मजदूर भी अपने गांव जाने के लिए भारी संख्या में इकट्ठा हुए और काफी बवाल हुआ 2- मुम्बई के बांद्रा में मजदूरों के इकटृठा होने की खबर सुनकर पुलिस आई और मजदूरों के ऊपर जमकर लाठियां बरसाई मजदूरों ने किसी तरह से अपनी जान बचा कर भागे ये खबर मीडिया ने चलाना शुरू किया लेकिन इसमें भी हिन्दू मुसलमानों का एंगल बना कर खूब मिर्च मसाला लगाया कयी मीडिया ने कहा कि रेलवे के बगल में मस्जिद है और मुसलमानों ने भीड़ को इकट्ठा किया मतलब में मुद्दे पर न आकर फिर से इस मुद्दे को मीडिया ने हिन्दू मुसलमान का एंगल दिया जबकि गुजरात में इकट्ठा हुए मज़दूरों की खबर दिखाने की किसी मीडिया की हिम्मत तक नहीं पड़ी आखिर ऐसा क्यों 3-मीडिया को सवाल सरकार और गोदी या झूठी मीडिया पर उठाना चाहिए वो सवाल क्यों नहीं उठाया जा रहा है जब रेलवे बिभाग ने चालीस हजार टिकट बुक कर दिया क्या ये खबर हमारी सरकार को नहीं थी या बिना सरकार के सलाह मसबिरा के रेलवे बिभाग ने इतना बड़ा खेल मजदूरों के साथ खेल गई , एक दिन पहले जब प्रधान मंत्री जनता को सम्बोधित करने को बोले थे तो फिर बिना उनके बिचार सुने एबीपी ने किस आधार पर ट्रेन चलाने की खबर चलाई जहां पर मजदूर वर्ग इतना पिडित हो चुका है वहीं पर सरकार और गोदी मीडिया और कितना प्रताणित करेगी मीडिया को क्या सिर्फ अपनी टीआरपी बढ़ाने बस से मतलब है ऐसी गोदी मीडिया को सरकार आखिर कब तक छूट देगी 4- सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इतना बड़ा घात मजदूरों के साथ क्यो हुआ क्यो मीडिया ने झूठी खबर चला कर मजदूरों के बीच में अफवाह फैलाई, और पुलिस ने मजदूरों को समझाने के बजाये उनके उसर लाठियां क्यों बरसाई आखिर कब तक मजदूरों के साथ में खिलवाड़ होता रहेगा हमेशा गोदी मीडिया फेंक खबरें चलाती है इस बिपत्ति में जब जनता को मदद करने और सही जानकारी देने की जरूरत है तब भी मीडिया अपने हरकतों से बाज नहीं आ रही है कुछ मीडिया का काम ही है जनता बीच में अफवाह फैलाना या फेंक खबरों को चलाना ,ऐसी मीडिया को कैसी हक नहीं बनता है पत्रकारिता करने की हलाकी चारों तरफ से उठते सवालों को देख कर कुलकर्णी के ऊपर कार्यवाही हो रही है और उसको पुलिस हिरासत में भी लिया गया है लेकिन जिन मजदूरों को बुरी तरह से मारा गया उसकी भरपाई कौन करेगा 5- बांद्रा स्टेशन पर एक तरफ मजदूरों के ऊपर लाठियां बरसाई जाती हैं तो दूसरी तरफ वाराणसी में सैकड़ों की तादात में फंसे यात्रियों को सरकार बसों को सेनीटाईज करवाकर पूरी सुरक्षा के साथ में उनके घरों तक पहुंचा दी अरे ये किस तरह का दोगलापन है धर्म के नाम पर हमारी सरकार किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं लेकिन जहां पर सच में मदद करने कि सजूरत है वहां पर उफ तक नहीं करती है आखिर ये अबतक चलेगा ये बात सायद आप भली-भांति समझ रहें होंगे क्योंकि एक तरफ जहां अमीर घरानों के लोग विदेशों में फंसे थे उनको सरकार हवाई जहाज से पूरी सुरक्षा के साथ घरों तक भेजती है और उनको कोरोंटाइन भी नहीं कराया गया तो वहीं गरीब मजदूर पैदल चल कर इतनी मुसीबत झेल कर जब अपने जिले या गांव के बार्डर तक पहुंचे तो उनको स्कूलों कालेजों में कैदियों की तरह चौदह दिनों के कोरोन्टाइन में रख दिया गया और वहां पर मजदूरों को एक-एक निवाले के लिए तरसा लिया गया मैं पूछती हूं कि ऐसी मजदूरों की तडप को देख कर आपकी एक भी रूह नहीं कांपती हैं ,आपका दिल तनक भी नहीं पसीजता है